मायावती सरकार को समर्थन देने के पक्ष में नहीं थे पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह
शनिवार की शाम को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन हो गया. 89 वर्षीय कल्याण सिंह का इलाज लखनऊ के पीजीआई हॉस्पिटल में चल रहा था. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे.
highlights
- मायावती सरकार को समर्थन देने के पक्ष में नहीं थे कल्याण सिंह
- शनिवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का हुआ निधन
- लोगों ने जाहिर किया शोक, दी श्रद्धांजलि
लखनऊ:
शनिवार की शाम को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन हो गया. 89 वर्षीय कल्याण सिंह का इलाज लखनऊ के पीजीआई हॉस्पिटल में चल रहा था. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे. उन्हें 4 जुलाई, 2021 को SGPGI, लखनऊ में भर्ती कराया गया था. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कल्याण सिंह से मिलकर उनके स्वास्थ्य का जायजा लिया था. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री से मिलने के लिए सीएम योगी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी SGPGI गए थे. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी हालचाल जानने के लिए फोन किया था. उन्होंने कल्याण सिंह को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को भी फोन किया था.
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मायावती सरकार को समर्थन देने के पक्षधर नहीं थे कल्याण सिंह
दो जून, 1995 को हुए सपा-बसपा के गठबंधन से वर्ष 1995 में चल रही सरकार को गेस्ट हाउस कांड के बाद बसपा के समर्थन वापस लेने के चलते गिर गई. इस दौरान मायावती की ताजपोशी के पीछे भाजपा नेता लालजी टंडन के साथ ही ब्रह्मदत्त द्विवेदी की अहम भूमिका रही. तब उस समय संघ को पल-पल की रिपोर्ट दी गई और बसपा के विधायकों को समर्थन के लिए संघ व केंद्रीय नेतृत्व को राजी किया गया. इस सब में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ ही मुरली मनोहर जोशी मुख्य भूमिका में रहे. भाजपा ने मायावती को समर्थन दिया और उनकी सरकार बनी. शपथग्रहण में दिल्ली से मुरली मनोहर जोशी भाग लेने लखनऊ आए.
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह इसके पक्षधर नहीं थे. इस मामले में उनका मानना था कि भाजपा, सपा-बसपा के गठजोड़ के बावजूद 183 सीटें लाने में सफल रही है. अन्य पिछड़ों की कमोबेश सभी जातियां जैसे निषाद, कोरी, कुर्मी, कुशवाहा, मौर्या यहां तक की यादवों ने भी उनकी पार्टी के लिए वोट किया है. ऐसे में बसपा को साथ देकर आगे बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने पार्टी मंच पर कई बार इसका प्रबल विरोध भी किया. लेकिन इस दौरान उनकी बात को नहीं माना गया और भाजपा के समर्थन से मायावती की सरकार बन गई.
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