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देश में पहली बार इस जगह कैमरे के जरिए हुई तेंदुओं की गिनती, जानें संख्या

यूँ तो भारत में पद चिन्हों से बटोरे गए आंकड़ों के हिसाब से 12 से 14 हज़ार तेंदुओं की अनुमानित संख्या उलब्ध है. लेकिन अभी तक तेंदुओं की संख्या का कोई सटीक आंकड़ा देश के पास उपलब्ध नहीं है.

Updated on: 04 Nov 2019, 10:21 AM

बहराइच:

यूँ तो भारत में पद चिन्हों से बटोरे गए आंकड़ों के हिसाब से 12 से 14 हज़ार तेंदुओं की अनुमानित संख्या उलब्ध है. लेकिन अभी तक तेंदुओं की संख्या का कोई सटीक आंकड़ा देश के पास उपलब्ध नहीं है. लेकिन विश्व प्रकृति निधि ने पहली बार कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में कैमरा लगाकर तेंदुए के फोटो खींच कर तकनीकी दृष्टि से उसके एक-एक पहलुओं की बारीकी से अध्ययन करने के बाद तेंदुओं की संख्या का सटीक आंकड़ा निकाला है. तेंदुओं की संख्या निकालने के लिए पहली बार कैमरों का इस्तेमाल किया गया है.

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कतर्नियाघाट में किए गए अध्ययन के बाद जारी की गई अपनी रिपोर्ट में विश्व प्रकृति निधि ने कहा है कि इस समय कतर्नियाघाट में 29 जवान और 10 दो साल से कम के तेंदुए हैं। विश्व प्रकृति निधि को इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए कतर्नियाघाट के 550 वर्ग किलोमीटर में 118 कैमरा ट्रैप्स लगाए और 58 दिन की गहन कार्यवाही के बाद 493 फोटो प्राप्त किए इन सभी फोटो में एक-एक स्पॉट के फर्क को बारीकी से देखा गया तब यह आकड़ा मिल सका.

कतर्निया में ही अध्ययन क्यों

इस अध्ययन की कतर्नियाघाट में ही किए जाने की सबसे बड़ी वजह यह है कि यहाँ मानव और जंगली जानवरों के बीच प्रतिमाह कम से कम एक हादसा होता है. कतर्नियाघाट में पिछले एक वर्ष में 12 हादसे रिपोर्ट किए गए हैं. विश्व प्रकृति निधि के अध्ययन में शामिल दुधवा टाइगर रिजर्व के पूर्व फील्ड डायरेक्टर रमेश पाण्डेय ने बताया कि इस तरह की गणना से मानव और जंगली जानवरों के बीच हो रहे संघर्ष की घटनाओं में कमी आएगी और इस तरह की गणना पूरे देश में की जाए तो एक फायदा यह होगा कि तेंदुओं की संख्या की सटीक जानकारी उपलब्ध हो जाएगी तथा तेंदुए के विकास और संरक्षण के लिए बेहतर काम किया जा सकता है. तेंदुआ एक ऐसा जानवर है जिसका निवास के लिए चीते (टाइगर) से संघर्ष चलता रहता है.

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चीता इसे जंगल से बाहर की तरफ ढकेलता रहता है. इसलिए तेंदुआ जंगल की सीमा पर बने रहते हैं. तेंदुए के बारे में एक कहावत मशहूर है कि इसका एक पैर जंगल में, तो एक पैर जंगल के बाहर खेत में होता है. कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में खेतिहर भूमि पर गन्ने की फसल बड़े पैमाने पर होती है और गन्ने के खेत तेंदुए के लिए घास के मैदान की तरह होते हैं.

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इसलिए तेंदुआ अक्सर गन्ने के खेत में रुक जाता है और कभी कभार मादा तेंदुआ गन्ने के खेतों में अपने बच्चों को जन्म दे देती हैं और जिस मादा के बच्चे सुरक्षित बच जाते हैं वह मादा फिर हमेशा यही कोशिश करती है कि उसी खेत में वह अपने बच्चे को जन्म दे. कतर्नियाघाट तेंदुओं की गणना से यह तो पता चल गया कि 29 ऐसे तेंदुए हैं जो अक्सर जंगल में रहते हैं.

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लेकिन इसमें उन तेंदुओं की शिनाख्त नहीं हो पाई जिन्होंने महीनों से गन्ने के खेतों को अपना बसेरा बना लिया, इसलिए आने वाले दिनों कतर्नियाघाट में तेंदुओं की संख्या 29 से बढ़ भी सकती है। इसमें 10 बच्चे जो चिन्हित हुए हैं वह नहीं शामिल हैं क्योंकि जब तक बच्चे दो वर्ष के नहीं हो जाते उनको शामिल नहीं किया जाता.