नदियों में बाढ़ से फसलें बर्बाद, गांवों में घुसा पानी

उत्तर प्रदेश में नदियों में बाढ़ तबाही का सबब बन गया है. गंगा, यमुना, चंबल और घाघरा समेत अनेक नदियों के उफान पर होने से अनेक क्षेत्रों फसलें बर्बाद हो गई हैं.

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Yogendra Mishra
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नदियों में बाढ़ से फसलें बर्बाद, गांवों में घुसा पानी

प्रतीकात्मक फोटो।

उत्तर प्रदेश में नदियों में बाढ़ तबाही का सबब बन गया है. गंगा, यमुना, चंबल और घाघरा समेत अनेक नदियों के उफान पर होने से अनेक क्षेत्रों फसलें बर्बाद हो गई हैं. केन्द्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा, यमुना, शारदा, चम्बल, शारदा में जलस्तर की बढ़ोतरी से कटान शुरू हो गया है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गंगा समेत कई नदियों का जलस्तर बढ़ गया है. गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. इस कारण कई तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का खतरा बना हुआ है.

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बिजनौर जिले में गंगा के तटवर्ती 28 गांवों के किसानों ने तटबंध बनाने को लेकर जल शक्ति आंदोलन शुरू कर दिया है. सौ किसानों ने गंगा के अंदर बैठकर धरना शुरू किया है. इस आंदोलन में शामिल किसानों का कहना है कि हर साल गंगा के तेज बहाव के कारण भूमि कटाना होता है. किसानों की जमीनें लगातार कटकर गंगा में जा रही हैं. आसपास के इलाकों के किसान अपनी जान जोखिम में डालकर खेती-बाड़ी कर रहे हैं. लेकिन प्रशासन से कोई ठोस मदद नहीं मिल रही है.

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पूर्वाचल के गाजीपुर, बलिया, वाराणसी जिलों में गंगा उफान पर है. वहीं बलिया में जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया है. गंगा का जलस्तर बढ़ने से वरुणा नदी का भी जलस्तर बढ़ गया है. वरुणा नदी के तटवर्ती इलाकों में पानी घरों में घुस गया है, जिससे लोग अपने घरों से पलायन करने को मजबूर हैं.

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कोटा बैराज से छोड़े गए पानी से इटावा में चंबल नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. बाढ़ की वजह से दर्जन भर गांवों का संपर्क मुख्यालय से टूट गया है. कई एकड़ फसल को नुकसान हुआ है. वहीं जालौन में यमुना नदी खतरे के निशान से 60 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. बाढ़ के पानी में डूबने से कई हेक्टेयर खरीफ की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है. साथ ही यमुना तट के दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी भरने से तहसील एवं जिला मुख्यालय से उनका संपर्क टूट गया है.

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धौरहरा तहसील क्षेत्र में घाघरा नदी का जलस्तर काफी बढ़ा हुआ. बाढ़ के कारण कई घर डूब गए हैं. एसडीएम धौरहरा आशीष कुमार मिश्र ने बताया कि "बनबसा में शारदा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. कटान से पीड़ित लोगों की जिला प्रशासन पूरी मदद कर रहा है. तिरपाल और राहत किट बांटी जा रहे हैं. इसके साथ ही उनकी अन्य अवश्यकताओं को भी देखा जा रहा है. किसी प्रकार परेषानी न हो पाए इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है."

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उधर, सीतापुर के शारदा नदी का तांडव शुरू है. इस कारण जटपुरवा गांव के पास करीब 20 बीघा खेतों को नदी ने काट कर खत्म कर दिया. वहीं कई घर भी कटान के करीब हैं. अब इलाके के ग्रामीण दहशत में हैं और अपने आशियाने छोड़कर सुरक्षित स्थान के लिए निकल रहे हैं.

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियन्ता ए़ क़े सिंह ने बताया, "गंगा कालब्रिज बदायूं में खतरे के निशान के ऊपर बह रही है. इसका खतरे का जलस्तर 162.00 है. जबकि 162.39 पर बह रही है. वहीं बलिया में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. खतरे का स्तर 57.615 है. जबकि यहां गंगा 58.190 मीटर पर बह रही है. यमुना मुजफ्फरनगर में 230.850 बह रही है. यह खतरे के निशान से 232.850 पर बह रही है. शारदा नदी भी 154.50 पर खतरे के निशान पर ही बह रही है."

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बाढ़ राहत आपदा प्रबंधन विभाग कार्यालय के पदाधिकारियों ने बताया कि जिन जिलों में जहां पर नदियों का जलस्तर बढ़ा है, वहां की बाढ़ चौकियों को अलर्ट किया गया है. राहत बचाव के लिए वहां जिला प्रशासन को तेजी लाने के लिए कहा गया है. एनडीआरएफ की टीम को भी सक्रिय रहने को कहा गया है. बाढ़ क्षेत्रों में खाने-पीने की व्यवस्था की गई है. वहां से लोगों सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की भी व्यवस्था की जा रही है.

Source : आईएएनएस

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