Farmers Protest: BSP सुप्रीमो मायावती की मांग, 'केंद्र सरकार वापल लें तीनों कृषि कानून'

कृषि कानून के खिलाफ अब बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती ने मोदी सरकार को घेरा है. उन्होंने आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए सरकार को हठधर्मी बताते हुए तीनों कृषि कानून को वापस लेने की मांग की है.

कृषि कानून के खिलाफ अब बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती ने मोदी सरकार को घेरा है. उन्होंने आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए सरकार को हठधर्मी बताते हुए तीनों कृषि कानून को वापस लेने की मांग की है.

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
mayawati 1

बीएसपी सुप्रीमो मायावती( Photo Credit : (फाइल फोटो))

कृषि कानून के खिलाफ अब बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती ने मोदी सरकार को घेरा है. उन्होंने आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए सरकार को हठधर्मी बताते हुए तीनों कृषि कानून को वापस लेने की मांग की है. मायावती ने ट्विट करते हुए लिखा, 'केंद्र सरकार को हाल ही में लागू तीन नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलित किसानों के साथ हठधर्मी वाला नहीं बल्कि उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपना कर उनकी मांगों को स्वीकार करके, उक्त तीनों कानूनों को तत्काल वापस ले लेना चाहिए. बीएसपी की ये मांग है.'

Advertisment

बता दें कि हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों के हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें डर है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली समाप्त हो जाएगी और उनपर बड़े कॉर्पोरेट का नियंत्रण हो जाएगा.

और पढ़ें: किसानों के विरोध प्रदर्शन को कभी नहीं भूल पाएंगे: सोनू सूद

वहीं,  उत्तर प्रदेश सरकार और बीजेपी संगठन मिलकर नए कृषि बिल के बारे में किसानों को जवाब देने की रणनीति तैयार कर ली है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कालीदास मार्ग स्थित अपने आवास पर मंत्रिमंडल और बीजेपी संगठन के लोगों के साथ बैठक कर रहे थे. वहां से मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती 25 दिसंबर का दिन इस काम के लिए चुना गया है. उस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों के खाते में सम्मान निधि की राशि ट्रांसफर करेंगे.

Source : News Nation Bureau

मायावती BSP एमपी-उपचुनाव-2020 मोदी सरकार Modi Government किसान कानून Mayawat farmers-protest farm-laws Farm Bill 2020 farmers किसान आंदोलन
Advertisment