सूखे व महंगाई की मार झेल रहे किसानों को मिलेगी नई तकनीक
सूखे व महंगाई की मार झेल रहे किसानों ने एक नयी तकनीक विकसित कर ली है. घरेलू गैस से पंपिंग सेट चलाकर किसान डीजल की बचत कर रहे हैं.
नई दिल्ली:
सूखे व महंगाई की मार झेल रहे किसानों ने एक नयी तकनीक (New Technology) विकसित कर ली है. घरेलू गैस से पंपिंग सेट चलाकर किसान डीजल की बचत कर रहे हैं. किसानों ने बताया कि एक सिलेंडर में करीब 60 घंटे सिंचाई होती है. इस दौरान तीन हजार रुपए तक का फायदा किसानों को हो रहा है. वैसे कहा जाता है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है. इसी फार्मूले को ध्यान में रखकर क्षेत्रीय किसानों ने कुकिंग गैस से पंपिंग सेट चलाने शुरू कर दिए हैं. यहां के कई किसान अपने लिस्टर इंजनों को रसोई गैस से चला रहे हैं. किसानों ने बताया कि इंजन के एयर क्लीनर के माध्यम से गैस दी जाती है. इससे इंजन खूब पानी फेंकता है. एक सिलेंडर से लिस्टर इंजन पूरे पांच दिन यानी साठ घंटे तक चलता है.
इस दौरान इंजन की स्टार्टिंग डीजल से होती है. 12 घंटे में सिर्फ दो लीटर डीजल की खपत होती है. पांच दिन में 950 रुपए का 10 लीटर डीजल एवं 1050 रुपए का घरेलू सिलेंडर का कुल खर्चा दो हजार रुपए आता है. अगर 60 घंटे डीजल से यही इंजन चलाया जाए तो 60 लीटर डीजल का खर्चा आएगा और इसकी कीमत 55 सौ रुपए बनती है. इसलिए किसानों को तीन हजार तक की बचत हो रही है.
खास बात तो यह है कि सिलेंडर से इंजन चलाने के लिए अलग से कोई महंगा उपकरण की जरूरत नहीं पड़ती है. अगर कुछ नुकसान है तो कुकिंग गैस की किल्लत बढ़ सकती है. किसानों ने बताया कि धान की फसल का मौसम है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की जमकर कटौती की जा रही है. सिंचाई करने के लिए गंग नहर में भरपूर मात्रा में पानी नहीं आ रहा है. बरसात भी नहीं हो रही है. इसकी वजह से यह नई तकनीक अपनाई जा रही है.
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