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कानपुर डीएम ऑफिस में बनाया जा रहा था बंदूक का फर्जी लाइसेंस, ऐसे हुआ खुलासा

कानपुर डीएम ऑफिस में फर्जी लाइसेंस बनाये जाने के बड़े मामले का खुलासा हुआ है. खुद जिला प्रशासन का दावा है कि यहां एक साल के अंदर ही 73 फर्जी लाइसेंस बना दिए गए हैं.

Updated on: 21 Aug 2019, 09:59 AM

highlights

  • 73 फर्जी लाइसेंस बने हैं
  • क्लर्क ने आत्महत्या की कोशिश की है
  • नवीनीकरण के नाम पर बनाया फर्जी लाइसेंस

कानपुर:

कानपुर डीएम ऑफिस में फर्जी लाइसेंस बनाये जाने के बड़े मामले का खुलासा हुआ है. खुद जिला प्रशासन का दावा है कि यहां एक साल के अंदर ही 73 फर्जी लाइसेंस बना दिए गए हैं. शस्त्र विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत से यह सभी लाइसेंस बने हैं.

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कानपुर डीएम आफिस के असलहा विभाग में वैसे तो लाइसेंस लेने वालों को सालों चक्कर लगाना पड़ता है. साथ ही हजारों लोग तो ऐसे भी हैं, जिनकी फाइलें कई-कई सालों से दबी पड़ी हैं. लेकिन इसी शस्त्र विभाग में एक साल के अंदर 73 ऐसे फर्जी लाइसेंस जारी कर दिए गए हैं जिनका कोई रिकार्ड ही नहीं बनाया गया.

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इस मामले की जांच करने वाले कानपुर सीडीओ अक्षय त्रिपाठी का कहना है कि 11 जुलाई 2018 से लेकर इस साल जुलाई तक कानपुर में 73 ऐसे लाइसेंस जारी हुए, जिनका कोई मूल रिकार्ड नहीं पाया गया है. ये लाइसेंस पुराने लाइसेंसों के नवीनीकरण के नाम पर फर्जी ढंग से बना दिए गए हैं.

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जिसमें शस्त्र विभाग के कर्मचारियों की भूमिका रही है. इसमें मुख्य आरोपी क्लर्क विनीत पाया जा रहा है. जिसने मामला खुलने पर पूछताछ से पहले ही जहर खाकर आत्महत्या की कोशिश की थी और अभी तक हॉस्पिटल में भर्ती है. कानपुर में 2018-19 तक 441 लाइसेंस जारी किये थे इसमें 180 लाइसेंसों का नवीनीकरण कराया गया.

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लाइसेंसों का फर्जीवाड़ा करने वालो ने इसी प्रक्रिया का फायदा उठाया और शस्त्र विभाग के क्लर्क से सेटिंग करके ये फर्जी लाइसेंस जारी करवा दिए. जाहिर इसके एवज में लाखों करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया होगा. जिला प्रशासन का कहना है की अभी तक इसमें मुख्य भूमिका विनीत तिवारी की ही पाई जा रही है.

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डीएम विजय विश्वास पंत का कहना है की जांच के बाद इसमें जो भी अधिकारी दोषी होगा, उस पर निष्पक्षता से कार्यवाही की जायेगी उन लाइसेंसों को भी निरस्त कराया जाएगा और एफआईआर भी कराई जायेगी. कानपुर में फर्जी लाइसेंसों के इतने बड़े कारनामे से अधिकारिओ की नींद उड़ गई है.

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लेकिन अधिकारियों का दावा भी अभी शक के घेरे में हैं कि इसमें सिर्फ एक लिपिक ही शामिल पाया जा रहा है. जबकि किसी में भी लाइसेंस को बनाने में पुलिस से लेकर कई विभागों की जांच रिपोर्टे लगाई जाती हैं, उनको चेक भी बड़े अधिकारी करते हैं. तो क्या उन अधिकारिओ पर भी शिकंजा कसा जाएगा, जिन्होंने इस पर आखे बंद रखी हैं.