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कोरोना ड्यूटी में लगे हर स्टाफ को मिले PPE किट, अखिलेश यादव ने योगी सरकार से की मांग

समाजवादी पार्टी की मांग है कि आकाशीय बिजली गिरने, दीवार और मकान गिरने से हुई मौतों पर प्रत्येक मृतक आश्रितों को 25-25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाये.

Updated on: 28 Apr 2020, 04:44 PM

लखनऊ:

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने मंगलवार को कोरोना ड्यूटी में लगे हर तरह के स्टाफ को पीपीई किट देने की मांग उठाई है. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मंगलवार को ट्वीट के माध्यम से लिखा कि कोरोना ड्यूटी (Corona Duty) में लगे उन हर तरह के स्टाफ को तत्काल पीपीई किट दिए जाएं, जिनका लोगों से ज्यादा संपर्क होता है. जैसे सभी स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस, आपूर्ति सेवा में लगे ड्राइवर और राशन डीलर, इनकी नियमित जांच होनी चाहिए.

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आजीविका के सभी रास्ते बंद होते दिख रहे

इससे पहले अखिलेश ने कहा था कि "कोरोना संक्रमण झेल रहे प्रदेश के किसानों पर बे-मौसम बरसात, आंधी और ओलावृष्टि की भी प्रातिक मार आ पड़ी है. उसका जीवन घोर संकट में पड़ गया है. आजीविका के सभी रास्ते बंद होते दिख रहे हैं. जिलों के अधिकारी भी किसानों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाये हुए हैं. गेहूं और आम की फसल की हुई बर्बादी का सरकार के पास कोई ब्यौरा नहीं है.

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प्रत्येक मृतक आश्रितों को 25-25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाये

समाजवादी पार्टी की मांग है कि आकाशीय बिजली गिरने, दीवार और मकान गिरने से हुई मौतों पर प्रत्येक मृतक आश्रितों को 25-25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाये. साथ ही फसलों के हुए नुकसान की भरपाई के तौर पर पर्याप्त मुआवजा भी दिया जाए. वहीं दूसरी तरफ पंद्रह दिन पहले उत्तर प्रदेश के इंसाफ अली ने श्रावस्ती जिले में अपने घर पहुंचने के लिए मुंबई से पैदल चलना शुरू किया था. मुंबई के वसई में रहने वाले मजदूर अली ने रास्ते में भोजन और पानी के लिए खासा संघर्ष किया.

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5 घंटे के बाद तोड़ दिया दम

लेकिन उन्होंने चलना जारी रखा और लगभग 1,500 किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव पहुंचे. वह सोमवार को अपने गांव के बाहरी इलाके में पहुंचे और उसे तुरंत जिले के मल्हीपुर पुलिस स्टेशन के अंतर्गत मटखनवा में एक क्वारंटीन केंद्र में ले जाया गया. कुछ घंटे बाद, पानी की कमी और थकावट के कारण उसकी मृत्यु हो गई. श्रावस्ती के पुलिस अधीक्षक अनूप कुमार सिंह ने कहा कि अली सुबह 7 बजे के करीब मटखनवा पहुंचे और स्थानीय स्कूल में बुनियादी परीक्षण करने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया.