मौत के बाद भी 'लॉकडाउन', नहीं कर पा रहे हैं अपनों के अस्थियों का विसर्जन

कोरोना वायरस की चेन तोड़ी जाए और इस कोरोना जैसे युद्ध पर फतेह की जाए, लेकिन लॉकडाउन के आदेश के बाद लोग अपने घरों में रहने के लिए मजबूर हैं.

कोरोना वायरस की चेन तोड़ी जाए और इस कोरोना जैसे युद्ध पर फतेह की जाए, लेकिन लॉकडाउन के आदेश के बाद लोग अपने घरों में रहने के लिए मजबूर हैं.

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Sushil Kumar
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

Coronavirus (Covid-19): मौत के बाद भी 'लॉकडाउन' जी हां यह शब्द आपको सुनने में अजीब जरूर लगेगा, लेकिन इस शब्द में कितनी हकीकत है. आज आपको बताएंगे कि आखिरकार मौत के बाद भी लॉकडाउन (Lockdown) क्यों है? आपको बता दें कि कोरोना वायरस (Coronavirus (Covid-19), Lockdown Part 2 Day 1, Lockdown 2.0 Day one, Corona Virus In India, Corona In India, Covid-19) की चपेट में इस वक्त पूरी दुनिया है. हर कोई अपने घरों में कैद है, वहीं सरकार और प्रशासन पूरे जी-जान से लगे हुए हैं. कोरोना वायरस (Corona Virus) की चेन तोड़ी जाए और इस कोरोना जैसे युद्ध पर फतेह की जाए, लेकिन लॉकडाउन के आदेश के बाद लोग अपने घरों में रहने के लिए मजबूर हैं. मजबूर भी आखिर क्यों ना हो, क्योंकि इस बीमारी का खतरा ही इतना भयानक है.

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अंतिन संस्कार करने की अनुमति नहीं

इसके बावजूद जिन परिवारों से उनके अपनों का साया उजड़ चुका है उनके लिए भी यह लॉकडाउन दुःख भरी खबर लेकर सामने आया है. जब अपने परिवार से कोई बिछड़ जाता है और वह मृत्यु प्राप्त करता है. उसके बाद परिवार इकट्ठा होकर उसको मोक्ष द्वार ले जाते हैं. ताकि उस आत्मा को सदगति मिल सके और उसकी आत्मा को शांति मिल सके, लेकिन क्या आपको पता है कि मृत्यु के बाद भी लॉकडाउन लगा हुआ है. ऐसा ही एक नजारा हमने देखा. सहारनपुर के हकीकत नगर में स्थित श्मशान घाट में जहां पर पिछले कई दिनों से लोग अपनों से बिछड़कर उनको यहां लाते हैं और उनका अंतिम संस्कार कराया जाता है.

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अस्थि कलश को श्मशान घाट में बने लॉकर के अंदर रखना पड़ रहा है 

उस अंतिम संस्कार में लोगों की संख्या भी मात्र गिनी चुनी होती है. इतना ही नहीं जब संस्कार के तीसरे दिन लोग श्मशान घाट में अपनों की अस्थियां लेने के लिए जाते हैं और उन अस्थियों को प्रवाहित करने के लिए हरिद्वार मां गंगा में प्रवाहित करने के लिए जाते हैं. तभी उनको वापस कर दिया जाता है. जिससे परिवार के लोगों का धैर्य भी टूट जाता है और मजबूरीवश परिवार के लोगों को उस अस्थि कलश को वापस श्मशान घाट में बने लॉकर के अंदर रखने पर मजबूर होना पड़ता है, इसीलिए इस शब्द को चरितार्थ करने के लिए टीम ने लोगों की यह बात शासन-प्रशासन तक पहुंचाने की उम्मीद की है.

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लॉकडाउन से मुक्ति मिलेगी और उनकी अस्थियां मां गंगा में प्रवाहित होगी

वह लोग इसी आस पर लगे हुए बैठे हैं. आखिर कब उनके अपनों को इस लॉकडाउन से मुक्ति मिलेगी और उनकी अस्थियां मां गंगा में प्रवाहित होगी. उनकी आत्मा को शांति मिलेगी, वहीं इस पूरे मामले का संज्ञान ले. जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने बताया कि जिन परिजनों को उनके मृतकों की अस्थियां विसर्जन को लेकर यह दिक्कत आ रही है. वह ऑनलाइन पास के लिए अप्लाई कर दें. हम केस बाय केस की जानकारी लेकर पास के लिए जारी कर देंगे, लेकिन हां दो अलग-अलग राज्यों की जो बात आ रही है. हम हरिद्वार के जिलाधिकारी से इस बात को करके दोनों के मत से जो भी हल निकलेगा. उसी आधार पर पास बनाने का कार्य करेंगे.

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