UP News: इटावा में कथावाचक के साथ बदसलूकी मामले पर बोलीं साध्वी निरंजन ज्योति, कह डाली ये बात

UP News: वेदव्यास जी का उदाहरण देते हुए कहा गया कि वे स्वयं केवट कन्या के पुत्र थे, जिन्होंने 18 पुराण, 6 शास्त्र और उपनिषदों की रचना की. इससे यह स्पष्ट होता है कि ज्ञान और भक्ति किसी जाति की मोहताज नहीं होती.

author-image
Yashodhan.Sharma
New Update

UP News: वेदव्यास जी का उदाहरण देते हुए कहा गया कि वे स्वयं केवट कन्या के पुत्र थे, जिन्होंने 18 पुराण, 6 शास्त्र और उपनिषदों की रचना की. इससे यह स्पष्ट होता है कि ज्ञान और भक्ति किसी जाति की मोहताज नहीं होती.

Etawah News: हाल ही में सामने आए यादव वर्सेस ब्राह्मण विवाद को लेकर देश में एक नई बहस छिड़ गई है. इस मुद्दे पर अब राजनीति और समाज के विभिन्न वर्गों की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं. विवाद की जड़ में कथावाचन को लेकर उठे सवाल हैं, जिसे कुछ लोगों ने जातीय रंग दे दिया है. लेकिन अब इस पर संयम और विवेक की बात भी कही जा रही है.

Advertisment

ये है भारत की परंपरा

एक वक्ता ने अपने बयान में कहा कि कथा वाचक बनने का अधिकार किसी एक जाति तक सीमित नहीं है. भारत की परंपरा में कबीरदास, रविदास जैसे महान संत हुए हैं, जिन्होंने न केवल समाज को दिशा दी बल्कि भक्ति और ज्ञान का प्रचार-प्रसार भी किया. वेदव्यास जी का उदाहरण देते हुए कहा गया कि वे स्वयं केवट कन्या के पुत्र थे, जिन्होंने 18 पुराण, 6 शास्त्र और उपनिषदों की रचना की. इससे यह स्पष्ट होता है कि ज्ञान और भक्ति किसी जाति की मोहताज नहीं होती.

बयान में यह भी कहा गया कि भागवत कथा को पढ़ने और सुनाने का अधिकार योग्यता पर आधारित है, न कि जाति पर. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति, यदि उसके पास श्रद्धा और ज्ञान है, तो वह कथा कर सकता है.

जातीय संघर्ष में बदलना ठीक नहीं

वक्ता ने कहा कि जो हालिया घटना घटी है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है और किसी भी तरह से उसका समर्थन नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन हर बार किसी सामाजिक या धार्मिक विवाद को राजनीतिक एंगल देना और उसे जातीय संघर्ष में बदलना ठीक नहीं है.

उन्होंने विशेष रूप से सपा प्रमुख अखिलेश यादव को संबोधित करते हुए कहा कि हर घटना को राजनीतिक नजरिए से देखना ठीक नहीं. यह आवश्यक है कि मन और विचारों का पर्यावरण शुद्ध हो, तभी समाज में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सकती है.

अंत में उन्होंने अपील की कि समाज को जोड़ने का कार्य होना चाहिए, न कि जातियों में बांटने का. विद्वत्ता और भक्ति को जातियों में सीमित करना हमारी संस्कृति का अपमान है. सभी को एक साथ आकर सौहार्द और समरसता के मार्ग पर चलना चाहिए.

etawah crime news uttar pradesh etawah news etawah news Uttar Pradesh UP News Etawah
Advertisment