logo-image
ओडिशा नाव हादसे में मरने वालों की संख्या हुई सात, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी Punjab: संगरूर जेल में धारदार हथियार से हमला, दो कैदियों की मौत और 2 घायल Punjab: कांग्रेस को झटका, तेजिंदर सिंह बिट्टू ने छोड़ी पार्टी, बीजेपी में होंगे शामिल Karnataka: बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन पहले पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव की मौजूदगी में कई कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल कर्नाटक: पुलिस ने कांग्रेस नेता रिजवान अरशद और रणदीप सिंह सुरजेवाला को हिरासत में लिया पंजाब में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका पूर्व सांसद संतोख सिंह चौधरी की पत्नी करमजीत कौर आज दिल्ली में बीजेपी में शामिल हो गईं.

उत्तर प्रदेश: बिजली कर्मचारी हड़ताल पर, कई जिलों की बत्ती गुल

उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ सोमवार को बिजली विभाग के कर्मचारी-अधिकारी हड़ताल पर चले गए हैं. कर्मचारियों की हड़ताल से पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया, आजमगढ़, चंदौली, मिर्जापुर, मऊ समेत कई जनपदों की बिजली गुल हो गई है.

Updated on: 06 Oct 2020, 12:03 AM

नई दिल्‍ली:

उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ सोमवार को बिजली विभाग के कर्मचारी-अधिकारी हड़ताल पर चले गए हैं. कर्मचारियों की हड़ताल से पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया, आजमगढ़, चंदौली, मिर्जापुर, मऊ समेत कई जनपदों की बिजली गुल हो गई है.

चंदौली में भी बिजली विभाग के कर्मचारियों ने कार्य का बहिष्कार कर दिया है. कर्मचारियों ने जिले के दीनदयाल उपाध्याय नगर के चंदासी स्थित पावर हाउस पर ताला जड़ दिया और बिजली की सप्लाई पूरी तरह से ठप कर दी है. इससे दीनदयाल उपाध्याय नगर सहित क्षेत्र के दर्जनों गांव में अंधेरा छा गया. जानकारी के अनुसार, आजमगढ़, मऊ, देवरिया और मिर्जापुर समेत कई जिलों में बत्ती गुल है.

हड़ताल कर रहे कर्मचारियों ने बिजली विभाग के दफ्तर में दीवार पर लिखे गए अधिकारियों-कर्मचारियों के मोबाइल नंबर भी काली स्याही से मिटा दिए. इस पर सभी उपकेंद्र पर जिला प्रशासन ने अन्य विभागों के कर्मियों को तैनात किया है. हड़ताली कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए निजी हाथों में बिजली विभाग को सौंपने का जो फैसला किया है, वह सही नहीं है. उन्होंने सरकार को कर्मचारी संगठनों के साथ 5 अप्रैल 2018 को इस विषय पर हुए समझौते का पालन करना चाहिए.

आपको बता दें कि ऊर्जा प्रबंधन को लेकर हुए इस समझौते में प्रावधान है कि निजीकरण से संबंधित कोई भी फैसला लेने से पहले सरकार कर्मचारियों को विश्वास में लेगी और बिना विश्वास में लिए कोई भी निर्णय नहीं करेगी.