उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में जिला पंचायत ठेकेदारों द्वारा तहबाजारी के नाम पर कथित रूप से अवैध वसूली करने का मामला सामने आया है. एक भी मौरंग (रेत) खदान चालू न होने पर भी यहां मटौंध और गिरवां थाना क्षेत्रों में जिला पंचायत के ठेकेदारों ने तहबाजारी वसूली के कैंप कार्यालय बनाए हुए हैं. बुंदेलखंड किसान यूनियन के अध्यक्ष विमल शर्मा ने रविवार को बताया, "जिले में केन, बागै और यमुना नदी में फिलहाल एक भी बालू (रेत) की खदान चालू नहीं है, फिर भी मध्य प्रदेश की अवैध खदानों से आने वाले बालू भरे ट्रकों से मटौंध और गिरवां थाना क्षेत्र में जिला पंचायत के ठेकेदार पुलिस के सहयोग से दिन-रात तहबाजारी के नाम पर अवैध वसूली कर निकासी करवा रहे हैं. जबकि दो माह पूर्व बांदा के कमिश्नर मध्य प्रदेश से आने वाले ट्रकों को बांदा से गुजरने पर लगा चुके हैं."
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जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी (एएमए) जे.पी. मौर्य ने कहा, "यहां मुख्य तौर पर खनिज के नाम पर मोरंग (रेत) नदियों से निकलती है, वह भी पिछले चार माह से बंद है. रेत की तहबाजारी उसके उद्गम स्थल से एक किलोमीटर की सीमा पर (मुख्य सड़क मार्ग को छोड़कर) ही जिला पंचायत के नामित ठेकेदार वसूल कर सकते हैं. दूसरे जिले या प्रदेश से खनिज भरे वाहनों से वसूली अवैध है."
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उन्होंने कहा, "गिरवां क्षेत्र में अवैध तरीके से तहबाजारी वसूल करने की जानकारी मिली है, जिस पर कार्यवाही प्रस्तावित है."
खजुराहो मार्ग पर गिरवां थाने के पास मध्य प्रदेश के वाहनों से ऐसी ही वसूली कर रहे एक ठेकेदार के मुनीम भैयादीन ने बताया, "मध्य प्रदेश से मौरंग लाद कर आने वाले ट्रकों से दो सौ रुपये प्रति ट्रक के हिसाब से तहबाजारी की वसूली करते हैं, जिसकी रसीद दी जाती है. यहां से प्रतिदिन लगभग पांच सौ ट्रक गुजरते हैं, जिनसे यह वसूल की जा रही है."
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गौरतलब है कि मध्यप्रदेश से लगे उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के सरहदी इलाकों की अलग-अलग सड़कों में कैम्प (झोपड़ी) लगाकर सीमा पार से आने वाले मौरंग लदे वाहनों से सफेदपोशों और स्थानीय प्रशासन की आड़ में जबरन वसूली किये जाने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं.
Source : आईएएनएस