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माघ मास मेले का प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या आज है। इस महापर्व पर डुबकी लगाने के लिए आज इलाहाबाद संगम पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी है। करीब डेढ़ करोड़ लोग स्नान करनें की संभावना है। मकर संक्रांति के मुकाबले मौनी अमावस्या पर्व पर स्नानघाटों की संख्या बढ़ाकर 18 कर दी गई है। शुक्रवार की भोर से ही स्नान शुरू हो गया।
मौनी अमवस्या पर स्नान करने के लिए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि, जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, जगद्गुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ, समेत दर्जनों संत-महात्मा और महंत भी संगम में मेला क्षेत्र से पहुंच गए है।
Uttar Pradesh: Devotees take holy dip in Varanasi on Mauni Amavasya. pic.twitter.com/sybUQiJgPL
— ANI UP (@ANINewsUP) January 27, 2017
स्नान का महत्व
मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी खासतौर पर गंगा का जल अमृत बन जाता है। इसलिये माघ स्नान के लिये माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या को बहुत ही खास बताया गया है इस दिन व्रती को मौन धारण करते हुए दिन भर मुनियों सा आचरण करना पड़ता है इसी कारण यह अमावस्या मौनी अमावस्या कहलाती है। यह दिन माघ मास के ठीक मध्य में अमावस्या के दिन होता है ।
क्यों मनाया जाता है पर्व
मौनी अमावस्या के दिन भगवान मनु का जन्म हुआ था। इस दिन पवित्र जलाशय, नदियों में स्नान व पितरों का तर्पण करने से पितरों कों शांति मिलती है व कई गुना पुण्य मिलता है।
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