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ओशो के निधन के निष्पक्ष जांच की उठी मांग

अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर पिछले 571 दिन से अनशन पर बैठे बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर व उनके सहयोगियों ने रविवार को अनशन स्थल पर ओशो की पुण्यतिथि मनाई और उनके निधन को लेकर छिड़े विवाद को शांत करने के लिए केंद्र सरकार से निष्पक्ष जांच कर

Updated on: 19 Jan 2020, 07:00 PM

महोबा:

अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर पिछले 571 दिन से अनशन पर बैठे बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर व उनके सहयोगियों ने रविवार को अनशन स्थल पर ओशो की पुण्यतिथि मनाई और उनके निधन को लेकर छिड़े विवाद को शांत करने के लिए केंद्र सरकार से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की. सामाजिक कार्यकर्ता तारा पाटकर खुद 'ओशो संन्यासी' हैं और स्वामी अंतर्यात्री उनका संन्यास नाम है. रविवार को अनशन स्थल पर उन्होंने अपने अन्य साथियों के साथ सबसे पहले ओशो की तस्वीर पर माल्यार्पण किया और कहा, "ओशो की मृत्यु पूना आश्रम में 19 जनवरी, 1990 को संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई थी. इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. हमने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत भी लिखा है."

उन्होंने कहा कि सरकार हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर सच्चाई को उजागर करे.

तारा ने कहा कि जो तथ्य उभरकर सामने आ रहे हैं, उससे सभी ओशो प्रेमी दुखी हैं. देशभर में ओशो के करोड़ों प्रेमी हैं. ओशो के निजी चिकित्सक डॉ. गोकुल गोकाणी पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि ओशो की मृत्यु के वक्त वह आश्रम में मौजूद थे, लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया और ओशो की मां भी वहीं थीं, उनको भी नहीं मिलने दिया गया. साथ ही उनसे जबरदस्ती मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करवाया गया.

इस मौके पर डॉ. प्रभु दयाल, दीपेंद्र सिंह परिहार, सौरभ गुप्ता, कल्लू चौरसिया, अमरचंद विश्वकर्मा, इकबाल भाई, हरगोविंद समेत तमाम लोग मौजूद रहे.