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उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में विभिन्न बैंकों में करोड़ों की रकम का कोई वारिस नहीं है. यह राशि करीब 190.63 करोड़ रुपये है. विकास भवन के सभागार में वित्तीय संपत्तियों के वितरण और जन-जागरूकता को लेकर एक शिविर लगाया गया है. इसमें सभी जुड़ी जानकारियों को साझा किया गया.
खाताधारकों तक पहुंचने की प्रक्रिया की शुरूआत
जिले के 213 बैंक खातों में जमा करीब 1.35 करोड़ रुपये की रकम खाताधारकों के असली वारिसों को लौटाई गई है. इसके बाद भी करीब 190.63 करोड़ रुपये अब भी अनक्लेम्ड हैं. इनका कोई लेनदार नहीं है. इस धनराशि के वारिसों और खाताधारकों तक पहुंचने की प्रक्रिया की शुरूआत हो चुकी है. इसके लिए बैंक और संबंधित अधिकारी विशेष शिविर आयोजित कर लोगों को दस्तावेजों के साथ अपनी राशि का दावा करने का अवसर प्रदान कर रहे हैं.
इसके लिए एक कार्यक्रम भी रखा गया. इसमें मुख्य अतिथि के रूप में विधानपरिषद सदस्य श्रीचंद शर्मा पहुंचे थे. इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख विकास अधिकारी जसजीत सिंह कालरा और केनरा बैंक के सहायक प्रबंधक केएनएसजीवी प्रसाद भी कार्यक्रम में मौजूद थे. इस शिविर का शुभारंभ लीड बैंक मैनेजर राजेश सिंह कटारिया ने अतिथियों का स्वागत करते हुए किया.
धनराशि को पाने पूरी प्रक्रिया क्या है
उन्होंने जानकारी देकर दावा किया राशि को सरल और पारदर्शी तरह प्राप्त किया जा सकता है. इसके लिए ग्राहकों को अपने केवाईसी दस्तावेज और तय किए गए दावा फार्म जमा करने की जरूरत होती है. आरबीआई के लीड डेवलपमेंट ऑफिसर जसजीत सिंह कालरा ने विस्तार से समझाया कि किन हालात में खातों की सूची में शामिल किया जाता है. उस धनराशि को पाने पूरी प्रक्रिया क्या है.
जांच और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं
उन्होंने जानकारी दी कि आरबीआई का उद्गम नामक पोर्टल उपयोगकर्ताओं को उनके नाम, मोबाइल, आधार या पैन नंबर की सहायता से देशभर के सभी बैंकों में उनके नाम पर पड़ी बिना दावे वाली जमा राशि या खातों की जानकारी खोजने में मदद करता है. पोर्टल आम जनता के लिए आसान, स्पष्ट और विश्वसनीय तरीका है. इससे वे अपनी लावारिस संपत्ति की जांच और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
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