अयोध्या के तत्कालीन एसएसपी को कोर्ट ने जारी किया वारंट, जानिए पूरा मामला
अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला आने में महज 15 दिन का ही वक्त रह गया है. फैसला आने के साथ ही देश के सबसे पुराने भूमि विवादों में से एक अयोध्या मामले का निपटारा हो सकेगा, जिस पर हिंदू और मुसलमान दोनों ही अपना दावा करते रहे हैं.
अयोध्या:
अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला आने में महज 15 दिन का ही वक्त रह गया है. फैसला आने के साथ ही देश के सबसे पुराने भूमि विवादों में से एक अयोध्या मामले का निपटारा हो सकेगा, जिस पर हिंदू और मुसलमान दोनों ही अपना दावा करते रहे हैं. लेकिन इससे पहले अयोध्या के तत्कालीन एसएसपी और वर्तमान सूचना आयुक्त एसके सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी हुआ है. विवादित ढांचा मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने यह वारंट जारी किया है. आदेश के बावजूद एसके सिंह कोर्ट में गवाही के लिए हाजिर नहीं हुए थे.
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विशेष अदालत द्वारा विवादित ढांचा के मामले में सुनवाई की जा रही है. इस मामले में अभियोजन पक्ष 284 गवाहों की गवाही के लिए तत्कालीन एसएसपी एसके सिंह को कोर्ट में हाजिर होने के लिए कहा गया था. लेकिन एसके सिंह कोर्ट में हाजिर नहीं हुए, जिसके बाद आदेश का अनुपालन नहीं होने पर विशेष न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया है. इस मामले में अब 4 नवंबर को अगली सुनवाई होगी.
बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचा विध्वंस के समय वहां बतौर एसएसपी डीबी राय तैनात थे. लेकिन बाद में डीबी राय को हटाकर एसके सिंह को अयोध्या का एसएसपी बनाया था. इस मामले में सीबीआई ने विवेचना के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और लाल कृष्ण आडवाणी के साथ डीबी राय समेत 49 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. सीबीआई ने एसके सिंह को इस मामले में गवाह बनाया था.
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उधर, 70 साल पुराने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद अभी भी पेचीदा बना हुआ है. अब उम्मीद है कि 17 नवंबर तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुना देगा. कोर्ट के फैसले से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने लोगों से शांति की अपील की है. एआईएमपीएलबी की ओर से कहा गया है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सर्वोच्च न्यायालय का जो भी फैसला आए, वे उसे शांतिपूर्वक स्वीकार करें.
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