Coronavirus (Covid-19): 18+ के लोग UP में वैक्सीन लगवाने के लिए जाने से पहले पढ़ लीजिए यह रिपोर्ट
Coronavirus (Covid-19): कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) की किल्लत की वजह से मुंबई-दिल्ली, कर्नाटक, ओडिशा समेत कई राज्यों में टीकाकरण केंद्रों को बंद करना पड़ा है.
highlights
- यूपी में 18 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए अगले कुछ दिन तक कोई भी स्लॉट नहीं दिखाई पड़ रहा है
- सरकार की आधिकारिक वेबसाइट कोविन पर शनिवार से अगले कुछ दिन के लिए कोई स्लॉट नहीं हैं
लखनऊ:
Coronavirus (Covid-19): कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) को लेकर केंद्र और राज्यों की बीच चल रही खींचतान का असर टीकाकरण पर पड़ रहा है. एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए आह्वान कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर लोगों को वैक्सान सेंटर से खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है. सिर्फ उत्तर प्रदेश की बात करें तो वहां 45 साल के ऊपर के लोगों के लिए वैक्सीन की उपलब्धता फिर भी है लेकिन अगर 18 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए वैक्सीन की उपलब्धता को देखें तो शनिवार से अगले कुछ दिन तक कोई भी स्लॉट नहीं दिखाई पड़ रहा है. केंद्र और राज्यों की बीच चल रही नूराकुश्ती को भले ही वैक्सीन राजनीति करार दिया जा रहा हो, लेकिन हकीकत यही है कि पूरा देश इस वक्त वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है.
टीके की कमी की वजह से कई राज्यों में टीकाकरण केंद्रों को बंद करना पड़ रहा है. सरकार की आधिकारिक वेबसाइट कोविन पर शनिवार से अगले कुछ दिन के लिए स्लॉट ही नहीं हैं. वैक्सीन की किल्लत की वजह से मुंबई-दिल्ली, कर्नाटक, ओडिशा समेत कई राज्यों में टीकाकरण केंद्रों को बंद करना पड़ा है. दो महीने पहले जिस रफ्तार से टीकाकरण (Vaccination) अभियान चल रहा था, वह सुस्त पड़ा हुआ है.
पिछले सात दिन में इसमें जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है. 14 मार्च के बाद से देश में वैक्सीनेशन की भारी कमी दर्ज की जा रही है. औसतन हर रोज 13.42 लाख लोगों को टीका लगाया जा रहा था, लेकिन गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि फिलहाल 11.66 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है.
वैक्सीन का लक्ष्य पूरा करना मुश्किल
वैक्सीन की कमी के कारण संक्रमण की अगली लहरों के बारे में चिंता बढ़ गई है. वहीं दूसरी ओर सरकार की तरफ से वैक्सीनेशन का लक्ष्य भी तय किया गया है. जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का टारगेट दिया गया है.
गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने भी 10 राज्यों के साथ जिलाधिकारियों की बैठक में साफ कहा था कि राज्यों की अपेक्षाओं के अनुरूप अगले एक पखवाड़े में कोविड-19 टीके उपलप्ध करा दिए जाएंगे. टीकों की कमी ऐसे समय सामने आ रही है, जब तमाम विशेषज्ञ चेता चुके हैं कि टीकाकरण से ही कोरोना की आने वाली लहरों से निपट जानें बचाई जा सकेंगी.
राज्य सरकारों पर बढ़ा बोझ
दुनिया में भारत वैक्सीन बनाने का केंद्र होने के बावजूद अपनी कुल आबादी के 3 प्रतिशत से भी कम लोगों को हर रोज टीका लग पा रहा है. यह समस्या इसलिए पैदा हुई कि केंद्र ने पिछले साल वैक्सीन निर्माता कंपनियों को पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन बनाने के आर्डर नहीं दिए. साथ ही बड़ी मात्रा में वैक्सीन को अन्य देशों में भेज दिया गया. वहीं सरकार ने राज्यों पर अपने-अपने हिसाब से वैक्सीन कंपनियों से करार कर टीका मंगवाने की जिम्मेदारी सौंप दी है.
हालांकि सरकार की इस नीति की जमकर आलोचना भी हो रही है. पिछले दिनों केंद्र सरकार की ओर से बयान जारी किया गया कि अब तक 114 दिनों में वैक्सीन की 17 करोड़ डोज लगाई गई हैं. हालांकि लक्ष्य पूरा करने के लिए 60 करोड़ वैक्सीन डोज की जरूरत है. वहीं वैक्सीन उत्पादन करने वाली सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक अगस्त तक बढ़ाने की बात कह रही है. दोनों कंपनियों ने सरकार को सूचित किया कि अगस्त तक वे क्रमश: 10 करोड़ और 7.8 करोड़ डोजों को अपने उत्पादन को बढ़ाएंगे.
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