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यूपी के कई जिलों में कोरोना मरीजों में बढ़ा ब्लैक फंगस का खतरा, जानें इसके लक्षण

उत्तर प्रदेश में कोरोना के दूसरी लहर से जूझ रहे लोगों के लिए अब ब्लैक फंगस एक बड़ा खतरा बनता हुआ दिख रहा है. लखनऊ, वाराणसी समेत यूपी के कई जिलों में कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस पाया गया है.

Updated on: 13 May 2021, 03:24 PM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में कोरोना के दूसरी लहर से जूझ रहे लोगों के लिए अब ब्लैक फंगस एक बड़ा खतरा बनता हुआ दिख रहा है. लखनऊ, वाराणसी समेत यूपी के कई जिलों में कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस पाया गया है. एक्सपर्ट के मुताबिक स्टेरॉयड के हाई डोज की वजह से भी कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस देखने को मिल रहे हैं. लो इम्युनिटी,हाईसुगर लेवल और हाईडोज़ स्टेरायड से ब्लैक फंगस ग्रो करता है जानकारों के मुताबिक ब्लैक फंगस कोई नयी बीमारी नहीं है ये इम्यूनो कंप्रोमाइजड डिसीज है, जो आंख, नाक और मुंह के जरिए अटैक करता है.

यूपी में  कोरोना से उबर चुके कई लोगों में ब्लैक फंगस देखा गया है. लखनऊ, मेरठ वाराणसी में ब्लैक फंगस के एक्टिव केस देखे गए हैं. वहीं इस मामले की गंभीरता को देखते हुए यूपी सरकार ने ब्लैक फंगस पर एक्सपर्ट्स की राय मांगी है. राज्य स्तर पर बनी मेडिकल एक्सपर्ट्स कमेटी को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.

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क्या है ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइसिस) रोग

दरअसल, म्यूकोरमाइसिस फंगस (ब्लैक फंगस) इंफेक्शन से जुड़ी बीमारी है. यह बीमारी एक तरह के फंगस या फफूंद से फैलती है. इस फंगस के स्पोर्स या बीजाणु वातावरण में प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं. आमतौर पर इनसे कोई ख़तरा नहीं, लेकिन अगर शरीर का इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो, तो ये जानलेवा साबित हो जाते हैं. शुगर के मरीज इस बीमारी के ज्यादा ज्यादा शिकार हो रहे हैं. इस रोग में आंख की नसों के पास फंगस इंफेक्शन जमा हो जाता है, जो सेंट्रल रेटिनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद कर देता है. इसकी वजह से आंखों की रोशनी चली जाती है. कोरोना संक्रमित मरीज या कोरोना से स्वस्थ हुए कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन देखा गया है. यह इंफेक्शन आमतौर पर उन लोगों में पाया गया है, जिनका शरीर किसी बीमारी से लड़ने में कमजोर होता है.

कैसे शरीर को प्रभावित करता है ब्लैक फंगस

आंख, नाक के रास्ते ये फंगस दिमाग तक पहुंचता है और इस दौरान रास्ते में आने वाली हड्डी और त्वचा को नष्ट कर देता है और इसमें मृत्यु दर काफी ज्यादा है. लखनऊ के सीवीओ हॉस्पिटल के वरिष्ठ डॉक्टर एमबी सिंह इस फंगस को घातक तो मानते हैं, लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं मानते हैं. डॉक्टर का कहना है कि जो पेशेंट बहुत ज्यादा दिन तक ऑक्सीजन और वेन्टीलेटर्स के स्पोर्ट पर रहते हैं और जिनका सुगर अनकंट्रोल है, उनमें से भी किसी किसी को ही ये फंगस अपना शिकार बना रहा है.

ब्लैक फंगस के लक्षण

अगर इसके लक्षणों की बात करें तो इस रोग में अभी तक सिर में बहुत ज्यादा दर्द, आंखों में रेडनेस, आंखों से पानी आना, आंखों के मूवमेंट का बंद हो जाना जैसी परेशानियां देखी गई हैं. इस बीमारी के लक्षणों में नाक जाम होना, आंखों और गालों पर सूजन या पूरा चेहरा की फूल जाना भी शामिल हैं. कई बार नाक पर काली पपड़ी जमने लग जाती है. आंखों के नीचे दर्द या सिर में दर्द और बुखार भी इसके लक्षण हैं. कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह इंफेक्शन नाक से शुरू होता है, जहां से यह ऊपरी जबड़े तक जाता है और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है.

बीमारी के बढ़ने के तीन प्रमुख कारण

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बीमारी के बढ़ने के तीन प्रमुख कारण हैं, जिसमें कोरोना, डायबिटीज और स्टेरॉइड्स का बेलगाम इस्तेमाल शामिल है. पहले से ही कुछ बीमारियों से पीड़ित कोविड मरीज में दूसरे रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है. मरीजों का शरीर बाहरी इंफेक्शन से मुकाबला नहीं कर पाता और इसी वक्त यह फंगस हमला बोलता है. इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों पर इसका दोगुना खतरा होता है. तीसरा कारण स्टेरॉइड्स का ज्यादा इस्तेमाल है, जिसका कोरोना के इलाज में भी उपयोग होता है. इससे भी प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है.

ब्लैक फंगस का इलाज क्या है

डॉक्टरों की मानें तो म्यूकोरमाइसिस एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है, जो नाक और आंख से होता हुआ ब्रेन तक पहुंच जाता है और मरीज की मौत हो जाती है. अगर म्यूकोरमाइसिस बीमारी है का समय रहते पता चल जाए तो इलाज संभव है. इसका एक यह है इलाज कि लक्षणों को जल्द से जल्द पहचानें और डॉक्टर से संपर्क करें. कोविड से लड़कर आए लोगों को खासतौर पर इसके लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए. कुछ डॉक्टरों की मानें तो एक बार अगर इंफेक्शन दिमाग तक पहुंच गया तो फिर कोई इलाज कारगर नहीं.