बिना कोरोना टेस्ट कराए इलाज कराने न आएं मुस्लिम, अस्पताल का विज्ञापन

हेल्थ वर्कर्स हर खतरे का सामना करते हुए लोगों का इलाज करने में जुटे हुए हैं. हांलाकि इस दौरान कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस मुश्किल घड़ी में मदद करने की बजाय साम्प्रदायिक भेदभाव कर रहे हैं.

हेल्थ वर्कर्स हर खतरे का सामना करते हुए लोगों का इलाज करने में जुटे हुए हैं. हांलाकि इस दौरान कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस मुश्किल घड़ी में मदद करने की बजाय साम्प्रदायिक भेदभाव कर रहे हैं.

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Aditi Sharma
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मेरठ अस्पताल( Photo Credit : फोटो- ANI)

कोरोना वायरस को लेकर देश में स्थिति गंभीर बनी हुई है. प्रशासन इस समस्या से लड़ने की हर संभव कोशिश कर रहा है. हेल्थ वर्कर्स भी हर खतरे का सामना करते हुए लोगों का इलाज करने में जुटे हुए हैं. हांलाकि इस दौरान कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस मुश्किल घड़ी में मदद करने की बजाय साम्प्रदायिक भेदभाव कर रहे हैं.

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दरअसल मेरठ के वैलेंटीज कैंसर अस्पताल ने हाल ही में एक विज्ञापन छापा था जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कोई नया मुस्लिम मरीज अस्पताल में इलाज करवाने आना चाहता है तो उसके लिए उसे और उसके तीमारदार को कोरोना का टेस्ट करना होगा और उसका सर्टिफिकेट लेकर आना होगा. अगर उनका टेस्ट कोरोना नेगेटिव निकलता है तो ही वह इलाज के लिए अस्पताल आ सकते हैं. हालांकि अस्पताल ने अपने इस विज्ञापन के लिए अब माफी मांग ली है.

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अस्पताल का यह विज्ञापन चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग इसकी जमकर आलोचना कर रहे हैं. वहीं अस्पताल के डॉक्टर अमित जैन ने इस मामले में सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि ये विज्ञापन बस एक जरिया था लोगों से अपील करने का कि वह सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन करें. इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं था. अस्पताल का मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था. वहीं मेरठ पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है. पुलिस का कहना है कि हम इस मामले में सबूतो के आधार पर कार्रवाई कर रहे हैं.

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