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रामलला के मंदिर का गर्भगृह द्वार और 13 अन्य द्वार की चौखट पर विचार

ट्रस्ट की मंशा है कि 500 वर्षों के संघर्ष के बाद बनाए जा रहे हैं रामलला का मंदिर हजारों वर्ष तक सुरक्षित रहे.

Updated on: 11 Jul 2022, 03:11 PM

अयोध्या:

अयोध्या में भगवान राम लला का बहुप्रतीक्षित मंदिर बन रहा है. बंसी पहाड़पुर के पिंक स्टोंन से रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है. रामलला के मंदिर में गर्भगृह को लेकर 14 दरवाजे होंगे. अब इन दरवाजों को लगाए जाने के लिए मकराना मार्बल चौखट और बाजू बनाए जाएंगे. जिनकी नक्काशी मुस्लिम समाज के लोगों ने की है. यह चौखट बाजू राम जन्म कार्यशाला में आकर रख चुके हैं. अब मंदिर निर्माण के साथ इन्हीं चौखट बाजू से रामलला के मंदिर का गर्भगृह द्वार और 13 अन्य द्वार की चौखट बाजू बनाए जाएंगे, हालांकि, इसके लिए लकड़ी का चयन किया जाना है, बहराइच के जंगलों से शीशम और साखु तथा पड़ोसी जनपद गोंडा के मनकापुर के जंगलों से सागौन के सैंपल मंगाए गए हैं, कार्यदाई संस्था और इंजीनियर इस विषय पर रिसर्च कर रहे हैं कि किस लकड़ी से रामलला के मंदिर के दरवाजे बनवाए जाएंगे.

रामलला के मंदिर आंदोलन के दरमियां 1990 से ही राम जन्म की कार्यशाला बनाई गई, जहां पर बंसी पहाड़पुर के पत्थरों को तराश कर के मंदिर निर्माण के लिए रखा गया था. अहिल्या रूपी पत्थरों का वनवास लगभग तीन दशक बाद खत्म हुआ रामलला का बहुप्रतीक्षित मंदिर बनना शुरू हो चुका है. 2024 जनवरी में रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो गए. ऐसे में मंदिर की भव्यता को लेकर लगातार श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कार्य कर रहा है. 

समय-समय पर भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में कार्यदायी संस्था के लोग मंदिर निर्माण को लेकर मंथन करते हैं जिसमें इंजीनियर और वैज्ञानिकों की भी राय ली जाती है. ट्रस्ट की मंशा है कि 500 वर्षों के संघर्ष के बाद बनाए जा रहे हैं रामलला का मंदिर हजारों वर्ष तक सुरक्षित रहे. इसमें वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल किया जा रहा है. प्राकृतिक आपदाओं से भी मंदिर सुरक्षित रहेगा. अब मंदिर के निर्माण कार्य में लगाए जाने वाले सामान भी उच्च गुणवत्ता वाले हैं.

राम लल्ला के मंदिर में लगने वाले चौखट बाजू की एक्सक्लूसिव तस्वीरें हैं अभी तक मंदिर निर्माण की प्रक्रिया चल रही है मंदिर का प्रथम तल 2024 तक बनकर तैयार होगा और उसके पहले चौखट बाजू की भी जरूरत पड़ेगी ऐसे में मकराना के मार्बल से बनी मुस्लिम समाज के द्वारा तराशे गए चौखट बाजू राम जन्म की कार्यशाला में आ कर रखे हैं और इन्हीं मकराना मार्बल से रामलला के मंदिर के चौखट बाजू बनाए जाएंगे.

विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण में 3:50 से 4 लाख घन फूट पत्थर लगने हैं. उसके अलावा जो दरवाजे बनेंगे जो द्वार होंगे उसमें संगमरमर का पत्थर लगेगा. शरद शर्मा ने कहा कि, यह संगमरमर मकराना से लाए जाएंगे और लाए भी गए हैं यहां पर पूर्व में श्री राम जन्म भूमि न्यास के द्वारा जब नक्काशी कराई जा रही थी तो उस समय ही मकराना से चौखट बाजू को लाकर रखा गया है. यहां पर उसकी नक्काशी की गई है जो 14 द्वार बनेंगे मंदिर निर्माण में उसमें इस चौखट बाजू का उपयोग होगा इसको लगाया जाएगा.

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शरद शर्मा ने कहा कि यह संगमरमर दूधिया कलर के हैं, स्वेत हैं. इस पत्थर की आयु भी लगभग 2000 वर्ष की है. प्रांतीय मीडिया प्रभारी के मुताबिक उस समय जब यह पत्थर की तरासी हुई तो मकराना में जो फर्म थी वह मुस्लिम समाज की थी. शरद शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपना सौभाग्य समझा कि राम जन्मभूमि के चौखट बाजू में हमारे हाथों से नक्काशी की गई पत्थर वहां पर लगेंगे. उन्होंने अपने आप को कहा कि भगवान राम हमारे पूर्वज है. इस प्रकार से उन लोगों ने इस पत्थर को बड़ी प्रसन्नता पूर्वक नकाशी की.  ॉजब यह पत्थर मंदिर निर्माण में लगेंगे तो वह लोग अपने आपको गौरवान्वित महसूस करेंगे कि हमारे हाथों की जो कला थी वह भगवान राम के चरणों में समर्पित हुई.