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Congress आसार अच्छे नहीं, रायबरेली में ब्लॉक प्रमुख प्रत्याशी भी नहीं मिला

इससे कांग्रेस की स्थिति को समझा जा सकता है कि वह आसन्न विधानसभा चुनाव में कितनी बड़ी चुनौती पेश करेगी.

Updated on: 11 Jul 2021, 11:12 AM

highlights

  • ब्लॉक प्रमुख चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ
  • रायबरेली में प्रत्याशी भी नहीं उतार सकी कांग्रेस
  • विधानसभा चुनाव में प्रियंका की चुनौतियां बढ़ीं

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में आसन्न विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में कांग्रेस की हालत क्या होने वाली है, इसका अंदाजा ब्लॉक प्रमुख पद के लिए संपन्न चुनाव से की जा सकती है. इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 626 सीटों पर विजय हासिल कर शानदार प्रदर्शन किया, जबकि अगले विस चुनाव में प्रमुख चुनौती का दम भर रही समाजवादी पार्टी 100 सीटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी. सबसे बुरी दुर्गति तो कांग्रेस की हुई है, जिसका सूपड़ा साफ हो गया. करेला वह नीम चढ़ा वाली स्थिति यह रही कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के गढ़ रायबरेली में पार्टी अपने प्रत्याशी भी नहीं उतार सकी. उसने दूसरी पार्टी के प्रत्याशियों को ही वॉकओवर दिया. 

कांग्रेस का सूपड़ा साफ
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में शनिवार को ब्लॉक प्रमुख पद के लिए चुनाव हुए. इन चुनावों में भाजपा को शानदार जीत हासिल हुई. राज्य में 825 सीटों में से 334 पर निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख चुने गए, जबकि 476 सीटों पर मतदान हुआ था. इन चुनावों में भाजपा को 626 (निर्विरोध+मतदान में जीत) से ज्यादा सीटों पर जीत मिली, जबकि सपा 100 के भीतर सिमट गई. वहीं, कांग्रेस का चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया. कांग्रेस ने रायबरेली में 18 ब्लॉकों में प्रमुख बनाने के लिए दूसरी पार्टी के प्रत्याशियों को वॉकओवर दिया. यहां भी बीजेपी ने कांग्रेस को कड़ी धूल चटाई. भाजपा ने 18 में से 11 ब्लॉक प्रमुख की सीटों पर जीत हासिल की. सपा के खाते में रायबरेली की 2 सीटें आईं, जबकि निर्दलियों ने 5 पर जीत हासिल की. 

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प्रियंका के कंधे पर चुनाव की कमान
इससे कांग्रेस की स्थिति को समझा जा सकता है कि वह आसन्न विधानसभा चुनाव में कितनी बड़ी चुनौती पेश करेगी. कांग्रेस के अंदरखाने में चर्चा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा विधानसभा चुनाव 2022 में उत्तर प्रदेश से कांग्रेस से मुख्यमंत्री का चेहरा होंगी. इसकी घोषणा संभवत: सितंबर-अक्टूबर में हो सकती है. उससे पहले प्रियंका यूपी की नेता, हिंदू नेता और आम नेता की छवि बनाना चाहती हैं. संगम में खुद नाव की पतवार संभालना और बीते दिनों रामपुर के रास्ते में खुद गाड़ी का शीशा पोंछने के पीछे वीआइपी छवि मिटाने की भी कोशिश है. प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को संभालने का काम तो पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव का पद पाने के बाद 2019 से ही शुरू कर दिया था. उस समय पार्टी ने लोकसभा में अपनी परंपरागत सीट अमेठी भले ही गंवा दी, लेकिन अब प्रदेश में कांग्रेस चर्चा का विषय है.