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cm yogi Photograph: (ani)
गोरखपुर में एक कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2017 के बाद का नया उत्तर प्रदेश अपराध को स्वीकार नहीं करने वाला है. अगर किसी ने यहां पर अपराध की जुर्रत की जो उसे हरहाल में सजा मिलेगी. वह दौर खत्म हो चुका जब पीड़ित तड़पता था, भटकता था और अपराधी मौज-मस्ती करते थे.
भवन के निर्माण पर 72.78 करोड़ रुपये की लागत
अब प्रदेश की सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर आगे बढ़ रही है. नीति के तहत साक्ष्य संकलन और फॉरेंसिक साइंस लैब्स (विधि विज्ञान प्रयोगशाला) के जरिए प्रमाण की ऐसी व्यवस्था तय होती है. ऐसे में कोई अपराधी बच नहीं सकता है. सीएम योगी मंगलवार को बीसेए क्लास में उच्चीकृत क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला गोरखपुर के नवीन उच्चीकृत भवन का लोकार्पण किया. इस छह मंजिला हाईटेक नवीन भवन के निर्माण पर 72.78 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
हर कमिश्नरी में एक फॉरेंसिक साइंस लैब रखी जाएगी
उच्चीकृत आरएफएसएल का उद्घाटन करने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने लोगों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक जांच की अत्याधुनिक सौगात के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश की जनता को बधाई देते हुए कहा कि आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य होने के बाद 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में मात्र चार फॉरेंसिक साइंस लैब थे. सरकार बनने के बाद उन्होंने यह तय किया हर कमिश्नरी में एक फॉरेंसिक साइंस लैब रखी जाएगी. लैब होनी चाहिए. इससे आठ वर्षों में इनकी संख्या बढ़कर 12 हो गई है. छह लैब निर्माणाधीन हैं. जल्द ही सभी मिश्नरी में फॉरेंसिक साइंस की लैब होने वाली है. इन लैब्स में हर प्रकार की फॉरेंसिक जांच होगी. ये साक्ष्य को प्रमाणित कर अपराधियों को कड़ा दंड देने का आधार बनेगी.
दो-दो मोबाइल वैन को रखा जाएगा
मुख्यमंत्री ने बताया कि कमिश्नरी स्तर पर फॉरेंसिक साइंस लैब को स्थापित किया जाएगा. हर जिले में फॉरेंसिक साक्ष्य संकलन के लिए दो-दो मोबाइल वैन को रखा जाएगा. इससे कुछ ही घंटों में पुख्ता साक्ष्य सामने आ सकेगा. लैब में उसकी जांच के बाद पीड़ित को सहज और सुगम न्याय मिल सकेगा. इस तरह अब कोई अपराधी कानून के शिकंजे से बच नहीं पाएगा.
अच्छी फॉरेंसिक साइंस लैब का आभाव था
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 के पहले साक्ष्य एकत्र होने पर भी अच्छी फॉरेंसिक साइंस लैब का आभाव था. इसके कारण अपराधी बच निकलते थे. उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में गत वर्ष जुलाई से तीन नए काननू (भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य संहिता 2023) लागू होने के बाद फॉरेंसिक साइंस लैब्स की उपयोगिता बढ़ी है. नए कानून में सात वर्ष से ज्यादा का कारावास वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य किया गया है. इन कानूनों के लागू होने में काफी पहले ही यूपी सरकार ने लैब्स को स्थापित करने की तैयारी आरंभ कर की थी.
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