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UP में कांवड़ यात्रा पर नहीं लगेगा बैन, कांवड़ियों को मिलेगी सुरक्षा और सुविधा

Lucknow News: मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए शिवभक्तों से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने के साथ ही सीमित संख्या में ही कांवड़ यात्रा निकालने की अपील भी की है.

Updated on: 13 Jul 2021, 08:49 AM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा पर बड़ा फैसला लिया गया है. इस साल कांवड़ यात्रा पर बैन नहीं लगाया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा पर किसी भी तरह का कोई बैन नहीं लगेगा. हालांकि, मुख्यमंत्री योगी ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए शिवभक्तों से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने के साथ ही सीमित संख्या में कांवड़ यात्रा पर निकालने की अपील भी की है. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांवड़ यात्रा पर हम बैन नहीं लगाने जा रहे हैं, लेकिन इस दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करके सीमित संख्या में ही श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी जाएगी. हम कांवड़ियों को हर प्रकार की सुविधा भी देंगे और सुरक्षा भी देंगे.'

माघ मेला का दिया उदाहरण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना का खतरा प्रयागराज में माघ मेले के दौरान भी था, लेकिन माघ मेला के दौरान हमने सावधानी बरती. माघ मेला में हर दिन 20 लाख लोग प्रयागराज में डेढ़ माह तक रहे. मुख्य-मुख्य स्नानों पर एक से डेढ़ करोड़ लोगों ने स्नान भी किया, लेकिन हर स्तर पर सतर्कता और सावधानी बरती गई, कोरोना टेस्ट किये गये. इसके बाद हम लोगों ने शिवरात्रि से होली तक वृंदावन में वैष्णव कुंभ का भी बहुत सफल आयोजन किया. वहां पर भी हमने हर एक स्तर पर सावधानी बरती.'

एसओपी को लागू कराना असंभव
दूसरी तरफ उत्तराखंड में कोरोना की स्थिति पर बारिकी से नजर रखने वाले सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज़ फाउंडेशन के अनूप नौटियाल का कहना है कि भले ही कोविड व्यवहार के बारे में मानक संचालन प्रक्रियाएं (SOPs) लागू की जाती हैं और कांवड़ यात्रा की अनुमति दी जाती है लेकिन एसओपी को लागू करना असंभव होगा. उन्होंने कहा, हमने देखा है कि कुंभ में और हाल ही में जब लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दी गई और पर्यटक हिल स्टेशनों पर उमड़ पड़े.

उत्तराखंड में डेल्टा प्लस वैरिएंट दे चुका है दस्तक
नौटियाल ने कहा कि कांवड़ यात्रा कुंभ से कई गुना ज्यादा खतरनाक होगी. 30 दिनों के कुंभ के दौरान आए 70 लाख की तुलना में कांवड़ यात्रा में एक पखवाड़े में लगभग 3 से 4 करोड़ तीर्थयात्री हरिद्वार आएंगे. कांवड़ यात्रा के बाद फैले संक्रमण को राज्य संभाल नहीं पाएगा. इसलिए कोविड -19 की तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाना चाहिए. राज्य की सबसे बड़ी कोविड फैसिलिटी, दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डिप्टी मेडिकल सुपिरिटेंडेंट और कोविड केयर सेंटर कोऑर्डिनेटर डॉ एनएस खत्री ने कहा, 'एक आदर्श स्थिति में इससे ( कांवड़ यात्रा) से बचना चाहिए क्योंकि उत्तराखंड ने अपना पहला डेल्टा-प्लस मामला पहले ही दर्ज कर लिया है.