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जिनका स्वयं का अस्तित्व 2000 साल पुराना नहीं वो हमारा वर्षों पुराना इतिहास बता रहे हैं : यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ

सीएम योगी ने कहा कि कुम्भ अब लोगों के लिय फैशन और ट्रेड मार्क बन गया है.

Updated on: 15 Dec 2018, 02:55 PM

नई दिल्ली:

यूपी सीएम योगी ने आज प्रयागराज में कहा कि कुम्भ की आज पूरे देश में अलग पहचान है. हम अलग-अलग जगह कुम्भ को लेकर आयोजन कर रहे हैं. कुम्भ अब लोगों के लिय फैशन और ट्रेड मार्क बन गया है. इस बीच उन्होंन राहुल गांधी पर कमेंट करते हुए कहा कि कुछ लोग जनेऊ दिखाकर अपने आपको साबित कर रहे हैं पर कुम्भ को अपनी पहंचान बताने की जरूरत नहीं है. कुम्भ के आयोजन में किसी जाति मजहब को रखकर आयोजन नही होते. कुछ लोग दुनियां के एक कोने में बैठकर विदेशी झूठन खाकर भारत को कोसते हैं. ये सब षड्यंत्र हैं. जिनसे लोग ऊपर नही उठ पा रहे हैं. भगवान के मंदिर में जाने के लिए भेदभाव नही, श्रद्धा होनी चाहिए.

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योगी ने कहा, जो लोग कुम्भ पर सवाल उठाते हैं उनको कहना चाहूंगा कि कभी वहां जाएं और देखें कि कैसे लोग करोड़ों की संख्या में यंहा आते हैं. मैंने खुद जाकर देखा है उनकी भक्ति को उनकी श्रद्धा को ...सीएम योदी ने कहा कि हम तो पीपल की पूजा करते हैं हमसे बड़ा पर्यावरण प्रेमी कौन होगा. हम इस बार प्रयागराज में अक्षयबट को खोलने जा रहे हैं. जिसको बचा के रखा है.

योगी ने आगे कहा कि संवेदनाएं इंसान ही नहीं पशु पक्षियों और पेड़ पौधों में भी होती हैं. आप किसी से भेदभाव करेंगे तो क्या आपको फल मिलेगा नही मिलेगा. हमने अपनी संवेदनाएं खो दी इसीलिए देश गुलाम हुआ था. दुनियां के अंदर कोई ऐसी भाषा नही है जिसमें रामायण न हो और रामायण को लिखा किसने महृषि बाल्मीक ने, जिस समाज ने हमको भगवान से रूबरू कराया आज उसी समाज को छुआछूत की दृष्टि से देखते हैं. राहुल गांधी आज अपना गोत्र दिखाने लग गए, आज जिनका स्वम् का अस्तित्व 2000 साल पुराना नहीं वो हमारा वर्षों पुराना इतिहास बता रहे हैं. इसलिए आज हम इस बात को कहते हैं कि पहचानना सीखो. आज फेसबुक गूगल के आधार पर हम सही और गलत तय करने लगे हैं. पर में ऐसा नहीं मानता.

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आज सर्व समाज को जोड़ना है रामराज्य की स्थापना करनी है. कोई भेदभाव नहीं किसी से, हर कोई अपना है. हर कोई संगम तट पर आए डुवकी लगाए. समरसता फैलाए, इसी उद्देश्य से ये वैचारिक कार्यक्रम कुम्भ से पहले रखा गया है. वहीं महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि ये समरसता कुम्भ का आयोजन आज की जरूरत है. समरसता का पाठ गोरक्षपीठ हमेशा से पढ़ाती आई है. मैं बस यही कहूंगा कि भगवान को अलग-अलग नाम से भले ही बुलाया जा रहा हो पर ईश्वर एक ही है. कुम्भ का स्नान किसी जाति के लिए नहीं बल्कि सर्व जातियों के लिए होता है. कोई भेदभाव नही. कोई छुआछात नही. सबके साथ प्रेम से रहें एकता के साथ रहें. तभी देश मजबूत होगा. यही समरसता का सही मतलब है.