'ज्ञानवापी को दुर्भाग्य से दूसरे शब्दों में लोग मस्जिद कहते हैं', CM योगी का कोर्ट के फैसले के बाद बड़ा बयान

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले को लेकर वाराणसी अदालत के फैसले के बाद सीएम योगी आदित्यनाथा का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि ज्ञानवापी को दुर्भाग्य से दूसरे शब्दों में लोग मस्जिद कहते हैं.

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले को लेकर वाराणसी अदालत के फैसले के बाद सीएम योगी आदित्यनाथा का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि ज्ञानवापी को दुर्भाग्य से दूसरे शब्दों में लोग मस्जिद कहते हैं.

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Yashodhan.Sharma
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CM Yogiadityanath big statement on gyanvapi

उत्तर प्रदेश में वाराणसी अदालत ने गुरुवार को ज्ञानवापी पर अपना फैसला सुनाया, जिसके बाद अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बड़ा बयाना सामने आया है. उन्होंने कहा है कि आज लोगों के सामने ज्ञानवापी की पहचान दूसरे शब्दों में मस्जिद के रूप है, लेकिन यही ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ जी हैं.  दरअसल, हिंदू पक्ष ने वाराणसी की एक अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें स्थानीय जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने की मरम्मत करने का आदेश देने का अनुरोध किया गया था. लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. 

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क्या थी कोर्ट में बहस

बता दें कि नंदीजी महाराज विराजमान की ओर से लखनऊ के जनउद्घोष सेवा संस्था के सदस्य कानपुर की आकांक्षा तिवारी, लखनऊ के दीपक प्रकाश शुक्ला,अमित कुमार, सुविद प्रवीण ने अदालत में वाद दाखिल किया था. इसपर हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि न्यायालय का फैसला मुस्लिम पक्ष द्वारा व्यास जी के तहखाना में मरम्मत के विरोध और सुप्रीम कोर्ट में चल रही कानूनी कार्यवाही पर आधारित था. ऐसे में फैसले के बावजूद हिंदू पक्ष तहखाने की मरम्मत की अनुमति के लिए जिला न्यायाधीश की अदालत में अपील करने की योजना बना रहा है.

तहखाने की सुरक्षा पर जताई चिंता

अदालत के आदेश के बाद यादव ने कहा कि 31 जनवरी को व्यास जी के तहखाने में पूजा दोबारा शुरू हो गई, जिससे भक्तों को स्थापित मूर्तियों के दर्शन करने की अनुमति मिल गई. हालांकि, हिंदू पक्ष ने इसकी पुरानी और कमजोर छत के कारण तहखाने की सुरक्षा पर चिंता जताई. उन्होंने तर्क दिया कि मुस्लिम श्रद्धालुओं के छत पर चलने से इमारत गिरने का खतरा हो सकता है, इसलिए उन्होंने मांग की कि छत और खंभों की मरम्मत की जाए.

फिलहाल, सिविल जज सीनियर डिवीजन हितेश अग्रवाल की अदालत ने गुरुवार को फैसला सुनाया. उन्होंने तहखाने में चल रही पूजा गतिविधियों को बरकरार रखा और मुस्लिम पक्ष द्वारा उठाई गई आपत्तियों और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित चुनौती को ध्यान में रखा. 

 

 

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