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सीएम योगी ने कोरोना मैनेजमेंट के लिए टीम-9 को दिया ये निर्देश

कोविड टेस्टिंग में उत्तर प्रदेश हर दिन एक नया रिकॉर्ड बना रहा है. बीते 24 घंटे में 03 लाख 26 हजार 399 टेस्ट किए गए हैं. इसमें 01 लाख 27 हजार 404 सैम्पल आरटीपीसीआर के लिए जिलों से भेजे गए हैं.

Updated on: 24 May 2021, 11:10 PM

लखनऊ:

टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट के मंत्र के अनुरूप कोरोना के खिलाफ हमारी रणनीति कारगर सिद्ध हो रही है. एक ओर जहां प्रदेश में कोविड टेस्टिंग में हर दिन एक नया रिकॉर्ड बन रहा है, वहीं दैनिक केस में निरंतर कमी आती जा रही है और रिकवरी दर बेहतर होता जा रहा है. वर्तमान में प्रदेश में कुल 76,703 एक्टिव कोरोना मरीज हैं. एक्टिव केस में यह कमी अच्छे संकेत देती है. 30 अप्रैल की पीक की स्थिति के सापेक्ष 24 दिन के भीतर मरीजों की संख्या में 75.3 फीसदी की कमी आई है. अब तक 15 लाख 77 हजार 729 लोगों ने कोरोना पर जीत प्राप्त की है. प्रदेश के रिकवरी दर में हर दिन बेहतरी हो रही है. अब यह 94.8% तक पहुंच गया है. विगत 24 घंटों में कोविड संक्रमण के 3,981 केस सामने आए हैं, जबकि इसी अवधि में 11,918 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज भी हुए हैं. 

कोविड टेस्टिंग में उत्तर प्रदेश हर दिन एक नया रिकॉर्ड बना रहा है. बीते 24 घंटे में 03 लाख 26 हजार 399 टेस्ट किए गए हैं. इसमें 01 लाख 27 हजार 404 सैम्पल आरटीपीसीआर के लिए जिलों से भेजे गए हैं. इस तरह प्रदेश में अब तक 04 करोड़ 70 लाख 63 हजार 616 टेस्ट किए जा चुके हैं. इतना टेस्ट करने वाला एक मात्र राज्य उत्तर प्रदेश ही है. 

वर्तमान में 47,483 मरीज होम आइसोलेशन में उपचाराधीन हैं. कल मात्र 17 एमटी ऑक्सीजन की मांग इन मरीजों की ओर स्व की गई. इन मरीजों से लगातार संवाद बनाए रखा जाए. इनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए टेलीकन्सल्टेशन के माध्यम से चिकित्सकीय परामर्श की व्यवस्था को और बेहतर किया जाए. चिकित्सकों की संख्या, फोन लाइन की संख्या में बढ़ोतरी की जरूरत है. निगरानी समितियों के माध्यम से होम आइसोलेशन के मरीजों और जरूरत के अनुसार उनके परिजनों को मेडिकल किट उपलब्ध कराई जाए. मेडिकल किट वितरण व्यवस्था की सतत मॉनीटरिंग की जाए. जनपदीय आइसीसीसी और सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से मरीजों से संवाद कर उन्हें मिल रही सुविधाओं की जांच कराई जाए. वरिष्ठ अनुभवी तथा बुजुर्ग चिकित्सकों को आग्रह के साथ टेलीकन्सल्टेशन कार्य से जोड़ा जाए. 

भविष्य की आवश्यकता के दृष्टिगत प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट स्थापना अभियान स्वरूप में की जा रही है. अब तक विभिन्न जिलों में 414 ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत किये गए हैं, इनमें से 51 क्रियाशील हो चुके हैं. जिला प्रशासन इन प्लांट्स के स्थापना कार्य की सतत मॉनीटरिंग करे. रॉ मैटेरियल की उपलब्धता हो अथवा सिविल वर्क समय से पूरे किए जाएं. उत्तर प्रदेश ऑक्सीजन उत्पादन के पैमाने पर आत्मनिर्भर होगा. 

लगातार प्रयासों से ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति में संतुलन की स्थिति बन गई है. प्रदेश के सात प्रौद्योगिकी संस्थानों से कराई गई ऑक्सीजन ऑडिट से वेस्टेज रोकने में बहुत सहायता मिली है. विगत 24 घंटे में 628 एमटी ऑक्सीजन वितरित की गई, इसमें 356 एमटी केवल रीफिलर को उपलब्ध कराई गई. ऑक्सीजन उपलब्धता की स्थिति को देखते हुए औद्योगिक इकाइयों को उनके उपयोग के लिए ऑक्सीजन उपयोग की अनुमति दी जानी चाहिए. औद्योगिक गतिविधियां सामान्य रूप से क्रियाशील रखी जाएं. 

यह संतोषप्रद है कि प्रदेश में कोरोना महामारी की आक्रामकता न्यूनतम हो गई है, लेकिन थोड़ी सी भी लापरवाही अब तक के सभी प्रयासों को निरर्थक बना सकती है. हमें लगातार सतर्क और सावधान रहना होगा. आंशिक कोरोना कर्फ्यू को प्रभावी ढंग से लागू रखा जाए. 

- विशेषज्ञों के आकलन के दृष्टिगत कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के संबंध में प्रो-एक्टिव नीति अपनाई जा रही है. सभी मेडिकल कॉलेजों में पीआईसीयू और एनआईसीयू की स्थापना को तेजी से पूरा किया जाए. सभी 58 मेडिकल कॉलेजों में 100-100 बेड के पीआईसीयू स्थापित किये जाने हैं. इसके साथ 50 बेड का एनआईसीयू भी हो. वर्तमान में 1900 बेड की क्षमता है, इसने 5800 तक बढ़ाया जाना है. यह कार्य शीर्ष प्राथमिकता के साथ किया जाए.

आजमगढ़, बांदा, जालौन सहित ऐसे सभी जिले जहां 300-400 बेड के सरकारी हॉस्पिटल हैं, उनकी क्षमता विस्तार कर न्यूनतम 700-800 बेड के रूप में तैयार किया जाए. सीएम हेल्पलाइन और आइसीसीसी के माध्यम से कोरोना मरीजों/परिजनों से संवाद बना कर उनकी जरूरतों की पूर्ति कराई जा रही है. अब इसी प्रकार पोस्ट कोविड मरीजों और ब्लैक फंगस की समस्या से ग्रस्त मरीजों/परिजनों से हर दिन संवाद किया जाए. उनकी सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाए. 

निर्माणाधीन सीएचसी/पीएचसी का कार्य समय से पूरा किया जाए. इसके लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त कर निर्माण कार्य की सतत मॉनीटरिंग कराई जाए. स्वास्थ्य विभाग प्रदेश के सभी जनपदों की सीएचसी और पीएचसी में उपकरणों की मरम्मत, क्रियाशीलता, परिसर की रंगाई-पुताई, स्वच्छता और मैन पावर की पर्याप्त उपलब्धता के संबंध में इस संबंध विशेष कार्यवाही करे. इसके लिए एक विशेष टीम गठित हो, जो इसकी सतत मॉनीटरिंग करे. बेसिक शिक्षा विभाग में 'ऑपरेशन कायाकल्प' की तर्ज पर स्वास्थ्य और मेडिकल एजुकेशन विभाग में भी अभियान चला कर व्यवस्था सुदृढ़ की जाए. जनप्रतिनिधियों से सहयोग का आग्रह किया जाए. आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं सतत जारी रखी जाए. सभी जिलों में महिलाओं और बच्चों के लिए पृथक हॉस्पिटल सतत क्रियाशील रहे.