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विधानमंडल सत्र के दौरान विधायकों को समझाने के लिए BJP को करना पड़ेगा ये काम

उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के खौफ के बीच विधानमंडल का मॉनसून सत्र गुरुवार से शुरू हो रहा है. भाजपा के अपने विधायक पुलिस और अधिकारियों के रवैये से नाराज हैं.

Updated on: 19 Aug 2020, 07:24 PM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के खौफ के बीच विधानमंडल का मॉनसून सत्र गुरुवार से शुरू हो रहा है. भाजपा के अपने विधायक पुलिस और अधिकारियों के रवैये से नाराज हैं. कुछ ने तो अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से जाहिर भी की है. ऐसे में इन्हें संभालने की भाजपा के सामने बड़ी चुनौती है. सदन में विधायकों को संभालने की रणनीति बन रही है. भाजपा के सूत्र बता रहे हैं कि इसके लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव और सुरेश खन्ना विधायकों से बकायदे बात कर, उन्हें संतुष्ट करने के प्रयास में लगातार हैं. कुछ विधायकों को संयमित रखने के लिए सचेतकों को जिम्मेंदारी सौंपी गई है.

राज्य में पिछले तीन चार माह में अलीगढ़, हरदोई, उन्नाव समेत कई स्थानों पर ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें पुलिस और अधिकारियों से कहासुनी को साफतौर से देखा जा सकता है. अलीगढ़ इगलास के विधायक राजकुमार सहयोगी की और थानेदार के बीच मारपीट हो गई. भाजपा विधायक राजकुमार सहयोगी ने आरोप लगाया कि गोंडा थाने में एसओ सहित तीन दारोगा ने उनपर हमला बोल दिया और कपड़े भी फाड़ दिए.

वहीं, मामले में एसओ का कहना है कि विधायक ने ही सबसे पहले हाथ उठाया था. इस घटना के बाद थाने के बाहर विधायक समर्थकों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई. बवाल बढ़ने पर एएसपी देहात को जिले से हटाने व एसओ को निलंबित करने का फरमान आ गया. इसी प्रकार उन्नाव सदर से भाजपा विधायक पंकज गुप्ता अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना पर बैठ गए.

विधायक ने सदर कोतवाली में बुजुर्गो के खिलाफ गलत कार्रवाई पर सीओ से निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की थी. डीएम के निष्पक्ष जांच के आश्वासन के बाद उन्होंने धरना समाप्त किया था. भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि पिछले सत्र के बाद से पार्टी विधायकों के रुख पर विशेष नजर बनाए हुए हैं. उन विधायकों से संपर्क साधाने का प्रयास किया जा रहा है, जो पिछले दिनों कुछ मुखर दिखे हैं.