logo-image

CAA Protest: उत्तर प्रदेश में PFI पर लगेगा प्रतिबंध, DGP ने गृह विभाग से की सिफारिश

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा मामले में पुलिस का एक्शन शुरू हो गया है. प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के बाद अब यूपी ने पुलिस पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी शुरू कर दी है.

Updated on: 31 Dec 2019, 09:26 AM

highlights

  • यूपी हिंसा में सिमी के कथित नए रूप पीएफआई की भूमिका का खुलासा हुआ है.
  • संदिग्ध लिटरेचर और इलेक्ट्रॉनिक कंटेंट के साथ लखनऊ से किया गया था गिरफ्तार.
  • किसी अन्य स्थान से संचालित दंगाइयों के एक छोटे समूह का एजेंडा पूरी तरह अलग था.

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा मामले में पुलिस का एक्शन शुरू हो गया है. प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के बाद अब यूपी ने पुलिस पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. डीजीपी ओपी सिंह ने राज्य गृह विभाग को इस संबंध में पत्र भेजा है. उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा मामले में इस संगठन के 22 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. गृह विभाग की ओर से इस प्रस्ताव को केंद्र के पास भेजा जाएगा. पीएफआई राष्ट्रव्यापी संगठन है इसलिए इसे बैन करने का फैसला केंद्र लेगा.

यह भी पढ़ेंः अयोध्या में जल्द होगा मंदिर निर्माण : योगी आदित्यनाथ

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उत्तर प्रदेश हुए हिंसक प्रदर्शनों में खुफिया विभाग की रिपोर्ट आई है. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आक्रोश स्वस्फूर्त था लेकिन हिंसा ज्यादातर संगठित थी. रिपोर्ट में प्रदेश के सांप्रदायिक रूप से संवदेनशील इलाकों में भीड़ भड़काने, आगजनी, गोलीबारी और बमबारी करने में सिमी के कथित नए रूप पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की भूमिका का भी खुलासा हुआ है. यूपी हिंसा में पीएफआई की भूमिका का पता लगाने के लिए एक विस्तृत जांच चल रही थी। हिंसा के दौरान प्रदेश में 21 लोगों की मौत हो गई और लगभग 400 लोग घायल हुए. विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित पश्चिमी उत्तर प्रदेश रहा, जहां आगजनी, गोलीबारी और सरकारी संपत्ति नष्ट करने के मामले में 318 लोगों को गिरफ्तार किया गया.

यह भी पढ़ेंः आधी रात को प्रियंका गांधी का ट्वीट- ऊं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे

पीएफआई की हो रही जांच
मेरठ जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) प्रशांत कुमार ने कहा, 'कई मामलों में पीएफआई नेताओं के खिलाफ सबूत पाए गए हैं. अब तक पीएफआई के लगभग 22 सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इनमें पीएफआई की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया का प्रदेश अध्यक्ष नूर हसन भी शामिल है. हिंसा का मुख्य केंद्र मेरठ, मुजफ्फरनगर और बुलंदशहर रहे.' एडीजी के अनुसार, 'पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दंगों जैसे हालात बनाने में पीएफआई की भूमिका की जांच हो रही है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़काने वाले दंगाइयों की मौजूदगी के सबूत मिले हैं. यहां बिजनौर, संभल और रामपुर बुरी तरह प्रभावित हुए.'

मुस्लिम संगठनों की भी भूमिका
पुलिस ने आरोप लगाया कि हिंसा भड़काने में पीएफआई और अन्य स्थानीय मुस्लिम संगठनों ने मुख्य भूमिका निभाई. सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर अलीगढ़ में हिंसा को और ज्यादा भड़कने से रोकने के लिए एएमयू को पांच जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया है और सभी छात्रावास खाली करने के आदेश दे दिए गए हैं. छात्रों का बचाव करते हुए एएमयू शिक्षक संघ ने अब 15 दिसंबर की हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की है. हालांकि एएमयू प्रशासन पुलिस-छात्र संघर्ष में पीएफआई की छात्र इकाई और यूनिवर्सिटी में खासा आधार वाले संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया की भूमिका पर चुप है.