Uttar Pradesh: ग्रेटर नोएडा में NRC वाले समझकर आर्थिक जनगणना की टीम को बनाया बंधक
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में एनआरसी वाले समझकर लोगों ने आर्थिक जनगणना करने पहुंची टीम को बंधक बना लिया है.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में एनआरसी वाले समझकर लोगों ने आर्थिक जनगणना करने पहुंची टीम को बंधक बना लिया है. बताया जा रहा है कि इसके बाद लोगों ने टीम के लोगों को मारा पीटा भी है. सूचना पर आनन-फानन में पहुंची स्थानीय पुलिस ने टीम के लोगों को बंधक मुक्त कराया और 40 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है.
थाना जारचा क्षेत्र के छोलस गांव में आर्थिक जनगणना करने पहुंचे जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ ग्रामीणों ने मारपीट करके उन्हें बंधक बना लिया. इस मामले में 40 लोगों के खिलाफ थाना जारचा में मामला दर्ज किया गया है. पुलिस उपायुक्त जोन तृतीय राजेश कुमार सिंह ने बताया कि 18 फरवरी को जिला प्रशासन द्वारा कराए जा रहे आर्थिक जनगणना के मद्देनजर राज सिंह अपनी टीम के साथ छोलस गांव में जनगणना करने पहुंचे.
उन्होंने बताया कि दिल्ली का रहने वाला जावेद छोलस गांव में अपनी रिश्तेदारी में आया हुआ था. उसने अफवाह फैला दी कि ये लोग सीएए व एनआरसी के लिए जनगणना करने आए हैं., इस बात से गांव के लोग उत्तेजित हो गए तथा 40 लोगों ने आर्थिक जनगणना करने पहुंचे अधिकारियों को घेर लिया तथा उन्हें बंधक बनाकर उनके साथ मारपीट की. उन्होंने बताया कि ग्राम प्रधान बहादुर अली ने उपद्रवियों को समझाने का प्रयास किया लेकिन वे नहीं माने. डीसीपी ने बताया कि घटना की रिपोर्ट दर्ज करके पुलिस मामले की जांच कर रही है। आरोपी फरार हैं, उनकी तलाश की जा रही है.
बता दें कि पिछले कई दिनों से दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में सीएए के विरोध में प्रदर्शन चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त वार्ताकार वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े बुधवार को शाहीन बाग पहुंचे हैं. वे प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. उनके साथ साधना राम चंद्रन भी पहुंची हैं. शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए संजय हेगड़े ने कहा कि बच्चों को स्कूल जाने का रास्ता मिलना चाहिए.
संजय हेगड़े ने कहा कि हम यहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत आए हैं. हमें सबसे बात करने की उम्मीद है. हमें उम्मीद है कि सबके सहयोग से मसले का समाधान कर पाएंगे. वहीं, साधना रामचंद्रन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं कहा है कि आपके विरोध के अधिकार को छीना जाए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि दूसरों के हक को भी नहीं माना जाए.
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