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BSP सुप्रीमो मायावती ने होर्डिंग मामले में HC के फैसले का स्वागत किया

राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) का 19 दिसंबर 2019 को विरोध करने के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदर्शनकारियों से क्षति की वसूली के लिए पोस्टर लगाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अपना फैसला सुना दिया है.

Updated on: 09 Mar 2020, 04:17 PM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में  नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ प्रोटेस्ट के दौरान हुई हिंसा में प्रदर्शनकारियों को चिन्हित कर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) ने उनकी होर्डिंग्स बनवाकर सड़कों पर लगवा दी. जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लेते हुए योगी सरकार को तलब किया और उससे इस बात का जवाब मांगा कि ये होर्डिंग्स क्यों लगाई गई हैं इसे तत्काल प्रभाव से उतरवाया जाए.

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसका स्वागत किया है और कहा है कि, 'लखनऊ में सीएए के विरोध में किये गये आन्दोलन मामले में हिंसा के आरोपियों केे खिलाफ सड़कों/चैराहों पर लगे बड़े-बड़े सरकारी होर्डिंग/पोस्टरों को मा. इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर, उन्हें तत्काल हटाये जाने के आज दिये गये फैसले का बी.एस.पी. स्वागत करती है.'

होर्डिंग्स मामले में यूपी सरकार को लगा हाईकोर्ट से झटका
आपको बता दें इसके पहले राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) का 19 दिसंबर 2019 को विरोध करने के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदर्शनकारियों से क्षति की वसूली के लिए पोस्टर लगाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अपना फैसला सुना दिया है. हाईकोर्ट ने योगी सरकार को पोस्टर हटाने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने कोर्ट के महानिबंधक के समक्ष पोस्टर हटाए जाने संबंधी कृत कार्रवाई की रिपोर्ट 16 मार्च से पहले दाखिल करने को कहा है.

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यूपी सरकार कर सकती है सुप्रीम कोर्ट में अपील
लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुई हिंसा के आरोपियों के पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाने के मामले में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रही है. हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह चौराहों पर लगे उपद्रवियों के पोस्टर हटाए. लखनऊ के अलग-अलग चौराहों पर वसूली के लिए 57 कथित प्रदर्शनकारियों के 100 पोस्टर लगाए गए थे.

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16 मार्च तक यूपी सरकार हटाए होर्डिंग्स- HC
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि लखनऊ के जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर 16 मार्च तक होर्डिंग्स हटवाएं. साथ ही इसकी जानकारी रजिस्ट्रार को दें. हाईकोर्ट ने दोनों अधिकारियों को हलफनामा भी दाखिल करने का आदेश दिया गया है. चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने कहा कि पोस्टर लगाना सरकार के लिए भी अपमान की बात है और नागरिक के लिए भी. उन्होंने लखनऊ के डीएम और पुलिस कमिश्नर से पूछा कि किस कानून के तहत लखनऊ की सड़कों पर इस तरह के पोस्टर सड़कों पर लगाए गए?

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57 लोगों का लगाया गया पोस्टर
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में लखनऊ में पिछले साल दिसंबर में हिंसा हुई थी. इसमें उपद्रवियों ने करोड़ों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था. हिंसा में कथित रूप से शामिल रहे 57 लोगों के नाम और पते के साथ शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर कुल 100 होर्डिग्स लगाए गए हैं. ये सभी लोग राज्य की राजधानी लखनऊ के हसनगंज, हजरतगंज, कैसरबाग और ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के हैं.

मेरठ में 51 लोगों को भेजा नोटिस
20 दिसंबर 2019 को शहर में उपद्रव और हिंसा करने वाले 51 लोगों से 28.27 लाख की वसूली होगी. इन सभी उपद्रवियों को नोटिस जारी कर दिया गया है. इस हिंसा में उपद्रवियों ने सरकारी और निजी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया था. पुलिस चौकी भी फूंक दी गई थी. मेरठ के अपर जिला अधिकारी नगर अजय कुमार तिवारी ने बताया कि पहले 134 लोग चिन्हित किए गए थे. उसके बाद 85 और लोग चिन्हित किए गए. इन सबको नोटिस भेजा गया और अब इन सबमें से 51 लोगों के नाम फाइनल किए गए हैं, जिनको साक्ष्य और सबूतों के आधार पर हिंसा में हुए नुकसान की भरपाई का नोटिस जारी कर दिया गया है.