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यूपी में किसके नेतृत्व में लड़ेगी चुनाव, कौन होगा BJP का सूत्रधार, अमित शाह ने बताया

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि उत्तर प्रदेश का चुनाव हम योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक नेतृत्व और धमेंद्र प्रधान के संगठनात्मक नेतृत्व में लड़ रहे हैं.

Updated on: 04 Dec 2021, 08:19 PM

highlights

  • उत्तर प्रदेश की सियासत में नित नए परिवर्तन हो रहे हैं
  • BJP यूपी चुनाव योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक नेतृत्व में लड़ेगी
  • केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान होंगे चुनाव प्रभारी

 

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) होने वाले हैं. चुनाव होने में अभी वक्त है. लेकिन चुनाव पूर्व की आहटों ने मोदी सरकार की धड़कन को बढ़ा दिया है, तो वहीं योगी आदित्यनाथ पर भारी दबाव बना दिया है. राज्य में भाजपा के जनाधार घटने की बात होने लगी है. किसान आंदोलन, महंगाई, कानून व्यवस्था और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एकाधिकारवादी राजनीति के कारण सरकार और पार्टी के लोग भी योगी के नेतृत्व पर सवाल उठाने लगे हैं. पार्टी के अंदरखाने यह चर्चा भी चल निकली कि विधानसभा चुनाव का नेतृत्व योगी आदित्यनाथ को न मिलकर किसी दूसरे नेता को मिल सकता है. 

लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस चर्चा पर विराम लगाते हुए योगी विरोधियों की बोलती बंद कर दिया. शाह ने कहा कि, 'उत्तर प्रदेश का चुनाव हम योगी आदित्यनाथ जी के राजनीतिक नेतृत्व और श्री धमेंद्र प्रधान के संगठनात्मक नेतृत्व में लड़ रहे हैं. प्रदेश में भाजपा की स्थिति बहुत मजबूत है, भाजपा बहुत अच्छे बहुमत के साथ ये चुनाव जीतेगी.'  

लेकिन विधानसभा चुनाव बाद क्या होगा, इस पर संशय बना हुआ है. योगी आदित्यनाथ दूसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे या पार्टी किसी चेहरे को मुख्यमंत्री बनायेगी. इसके पहले उत्तर प्रदेश की जनता किसा पार्टी को सत्ता सौंपेगी, यह बड़ा सवाल बना हुआ है. उत्तर प्रदेश की सियासत में नित नए परिवर्तन हो रहे हैं. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी समीकरण बनने-बिगड़ने का दौर जारी है. यूपी के तमाम राजनीतिक दलों में कुछ नए चेहरे जुड़ रहे हैं तो कुछ पुराने चेहरे साथ छोड़ रहे हैं. इस बीच नए गठबंधनों ने सत्तारूढ़ भाजपा की नींद छीन ली है.

प्रदेश में चोटे दलों ने जिस तरह से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ मुलाकात कर गठबंधन का ऐलान किया, वह प्रदेश के सत्ता समीकरण को नए सिरे से परिभाषित करता है. सुभोसपा के ओमप्रकाश राजभर और लोकदल के जयंत चौधरी ने सपा से गठबंधन कर पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की राह आसान नहीं रहने दिया है.

तृणमूल की कोशिशें BJP या फिर कांग्रेस को करेगी नुकसान

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए एक के बाद एक कई नेताओं को तृणमूल कांग्रेस में शामिल करवा रही हैं. और देश के विभिन्न राज्यों का दौरा भी कर रही है. कुछ दिन पहले ममता बनर्जी ने  कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर और जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व महासचिव पवन वर्मा  को तृणमूल कांग्रेस में शामिल किया. इसके अलावा प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर और किसी वक्त बीजेपी के बड़े नेता में शुमार सुधींद्र कुलकर्णी ने भी दिल्ली में ममता बनर्जी से मुलाकात की, जिसके बाद इन दोनों के भी टीएमसी में शामिल होने के कयास लगने लगे.

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ममता बनर्जी पहले ही ममता बनर्जी यूपी चुनाव में उतरने का ऐलान कर चुकी हैं और पिछले महीने यूपी कांग्रेस के बड़े चेहरे ललितेश पति त्रिपाठी को टीएमसी में शामिल करके अपनी रणनीति भी स्पष्ट कर चुकी हैं. खबर है कि त्रिपाठी को पार्टी का अगुआ बना सकती है.  ललितेश पति त्रिपाठी एक समय कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे कमलापति त्रिपाठी के पौत्र है. और वाराणसी, भदोही, मीरजापुर और चंदौली के ब्राह्मणों पर उनका प्रभाव बताया जाता है.

ममता बनर्जी के राष्ट्रीय स्तर पर उतरने के बाद यह कहा जा रहा है कि टीएमसी कांग्रेस के साथ विपक्ष को राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचायेगा. लेकिन टीएमसी यदि उत्तर प्रदेश में ललितेश पति त्रिपाठी के नेतृत्व में चुनाव में उतरती है तो इससे भाजपा को पूर्वांचल की कई विधानसभा सीटों पर नुकसान होने की संभावना है.