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स्‍नातक कोटे की पांच सीटों में से दो बीजेपी और दो सपा ने जीती

वाराणसी और झांसी-इलाहाबाद खंड स्नातक क्षेत्र में सपा ने भाजपा के कब्जे वाली सीटें हासिल की हैं, जबकि आगरा खंड स्नातक क्षेत्र की सीट सपा को गंवानी पड़ी है. मेरठ स्नातक सीट पर पिछले चार बार से निर्दलीय (शिक्षक दल) हेम सिंह पुंडीर जीतते आ रहे थे .

Updated on: 06 Dec 2020, 10:43 AM

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए खंड स्नातक कोटे से पांच निर्वाचन क्षेत्रों में संपन्न हुए चुनावों में समाजवादी पार्टी (सपा) ने दो सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि दो सीटें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खाते में गई हैं. वहीं, शेष एक सीट का परिणाम आना अभी बाकी हैं, जिस पर मतगणना जारी है. चुनाव परिणाम शुक्रवार देर रात से आने शुरू हुए हैं. इस बीच, सपा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के विजयी उम्मीदवारों को बधाई देते हुए सत्तारुढ़ दल (भाजपा) पर गंभीर आरोप लगाए हैं. निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि आगरा खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के मानवेंद्र सिंह 'गुरु जी' चुनाव जीत गये हैं, जबकि शुक्रवार देर रात झांसी-इलाहाबाद खंड स्नातक क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के मान सिंह यादव ने जीत दर्ज की. शनिवार को वाराणसी खंड स्नातक क्षेत्र से सपा के आशुतोष सिन्हा और मेरठ स्नातक क्षेत्र से भाजपा के दिनेश गोयल ने जीत हासिल की.

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वाराणसी और झांसी-इलाहाबाद खंड स्नातक क्षेत्र में सपा ने भाजपा के कब्जे वाली सीटें हासिल की हैं, जबकि आगरा खंड स्नातक क्षेत्र की सीट सपा को गंवानी पड़ी है. मेरठ स्नातक सीट पर पिछले चार बार से निर्दलीय (शिक्षक दल) हेम सिंह पुंडीर जीतते आ रहे थे जिनका वर्चस्व खत्म हो गया. लखनऊ खंड स्नातक सीट पिछली बार निर्दलीय कांति सिंह ने जीती थी. सूत्र बताते हैं कि इस बार मतगणना में कांति सिंह भाजपा के अवनीश कुमार सिंह से पीछे चल रही हैं. मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि अब सिर्फ लखनऊ स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में मतगणना जारी है, जहां देर रात तक चुनाव परिणाम आने की उम्मीद है.

उल्लेखनीय है कि शिक्षक कोटे की छह सीटों के परिणाम शुक्रवार को ही घोषित कर दिये गये थे, जिनमें तीन सीटें भाजपा, एक सपा और दो निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती है. लखनऊ खंड शिक्षक क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के उमेश द्विवेदी ने दोबारा जीत दर्ज की लेकिन पिछली बार वह निर्दलीय जीते थे. इसके अलावा मेरठ खंड शिक्षक क्षेत्र से भाजपा के ही श्रीशचंद्र शर्मा ने शिक्षक दल के नेता और करीब पांच दशक से लगातार चुनाव जीत रहे ओम प्रकाश शर्मा को हरा दिया.

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बरेली-मुरादाबाद खंड शिक्षक क्षेत्र से भाजपा के हरी सिंह ढिल्लों ने सपा के संजय कुमार मिश्र को हराकर अपने कब्जे में कर लिया. इसके अलावा वाराणसी खंड शिक्षक क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी लाल बिहारी यादव ने निर्दलीय चेत नारायण सिंह को चुनाव हराया जबकि आगरा खंड शिक्षक क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार आकाश अग्रवाल ने निर्दलीय (शिक्षक दल) जगवीर किशोर जैन से यह सीट जीत ली. गोरखपुर फैजाबाद खंड शिक्षक क्षेत्र से निर्दलीय (शिक्षक दल) ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने अपनी सीट दोबारा बरकरार रखी है.

विधान परिषद की 11 सीटों के लिए मंगलवार को मतदान संपन्न हुआ था, जो छह खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र और पांच खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की सीटों के लिए कराया गया था. खंड स्नातक और खंड शिक्षक क्षेत्र की अब तक घोषित दस सीटों में पांच सीटें भाजपा और तीन सीटें सपा तथा दो सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गई हैं. इस चुनाव में भाजपा, सपा, कांग्रेस, शिक्षक दलों के प्रत्याशी और निर्दलीय उम्मीदवार समेत कुल 199 उम्मीदवार थे. बहुजन समाज पार्टी इस चुनाव से बाहर थी. इन निर्वाचन क्षेत्रों से निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल छह मई को ही समाप्त हो गया था लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते इस चुनाव में देर हुई.

समाजवादी पार्टी द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, पार्टी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘ विधान परिषद चुनाव में अपनी हार से बौखलाए भाजपाइयों ने मतगणना में गड़बड़ी करने की कोशिश के तहत झांसी पुलिस पर जानलेवा हमला किया. इन हमलावरों की तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए.’’ यादव ने दावा किया, ‘‘इसी तरह आगरा में हजारों मतपत्र मनमाने तरीके से रद्द कर दिए गए हैं और इससे जनता में भारी आक्रोश है.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि यह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को पराजित करने का षडयंत्र है.

गौरतलब है कि 100 सदस्यों‘ वाली उत्तर प्रदेश विधान परिषद में इस समय सपा के 52, भाजपा के 19, बसपा के आठ, कांग्रेस के दो, अपना दल सोनेलाल के एक, शिक्षक दल के एक और तीन निर्दलीय सदस्य हैं. इसके अलावा कुल 14 सीटें खाली थीं जिनमें 11 सीटों पर मंगलवार को मतदान हुआ. दस सीटों के परिणाम घोषित होने के बाद सपा के सदस्यों की संख्या 55 हो गई जबकि भाजपा के सदस्यों की संख्या बढ़कर 24 हो गई है. हालांकि इसके बाद भी सदन में सबसे बड़े दल के रूप में सपा ही रहेगी. भाषा आनन्द नोमान नोमान नोमान