भाजपा सामाजिक समीकरण की ओर, पिछड़ी जातियों को सहेजने पर जोर
मुख्यमंत्री योगी के दिल्ली दौरे के बीच भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली अपना दल की अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की है जो इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नए सियासी समीकरण और गठजोड़ पर भाजपा ने काम करना शुरू कर दिया है. 2014 से जुड़े पिछड़े वोट बैंक को सहेजने के लिए पार्टी ने पिछड़े नेताओं पर अपनी निगाहें गड़ानी शुरू कर दी है. वर्तमान परिदृष्यों को देखें तो कोरोना की दूसरी लहर में भाजपा के खिलाफ कुछ नकारात्मक माहौल बना है, ऐसे में विपक्षी दल भी पिछड़े और अतिपिछड़ी जातियों पर तेजी से काम करना शुरू किया है. इससे सर्तक भाजपा को लगता है पिछड़ी जातियों के ऐसे प्रभावशाली नेताओं को अपने पाले में कर लें, जिनका किसी जाति पर पैठ हो जिससे 2022 के मिशन फतेह में कोई बाधा न हो.
बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी के दिल्ली दौरे के बीच भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली अपना दल की अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय सिंह ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की है जो इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. भाजपा के एक बड़े नेता ने बताया कि पार्टी 2022 की सत्ता पाने के लिए कुछ ऐसे नेताओं को अपनी तरफ लाना चाहती है, जिसका किसी जाति पर विशेष पर अपना प्रभुत्व हो. ऐसे कुछ नेताओं को अपनी ओर लाने का प्रयास किया जा रहा है. अनुप्रिया, संजय जैसे नेता अपने समाज में पकड़ रखते हैं. हलांकि अनुप्रिया थोड़ा पार्टी से नाराज थीं. लेकिन अमित शाह से मिले अश्वासन के बाद अभी फिलहाल कुछ उन्हें संतोष है. इसी प्रकार कुर्मी और राजभर समाज के और नेताओं को पार्टी से जोड़ने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं.
यह भी पढ़ेंः कोरोना कहर में केंद्रीय कर्मियों के भत्तों में भी कॉस्ट कटिंग, 20 फीसदी तक कटौती
यूपी के जातिगत समीकरणों पर नजर डालें तो इस राज्य में सबसे बड़ा वोट बैंक पिछड़ा वर्ग है. प्रदेश में सवर्ण जातियां 18 फीसद हैं, जिसमें ब्राह्मण 10 फीसद हैं. पिछड़े वर्ग की संख्या 39 फीसद है, जिसमें यादव 12 फीसद, कुर्मी, सैथवार आठ फीसद, जाट पांच फीसद, मल्लाह चार फीसद, विश्वकर्मा दो फीसद और अन्य पिछड़ी जातियों की तादाद 7 फीसद है. इसके अलावा प्रदेश में अनुसूचित जाति 25 फीसद है और मुस्लिम आबादी 18 फीसद है.
वरिष्ठ राजनीति विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि 2017 और 2019 में जो भाजपा को बढ़त मिली थी. उसमें पिछड़े वर्ग का बहुत बड़ा समर्थन मिलना रहा है. इससे पहले यह वर्ग सपा के साथ हुआ करते थे. अभी एक साल से सपा कुछ ज्यादा मुखर हुई है. अखिलेश के सक्रिय होने से भाजपा को यह चिंता है कि ओबीसी का कोई हिस्सा सपा के पाले में न चला जाए. सोनेलाल पटेल की बेटी पल्लवी पटेल उनसे मिलने चली गयी है. ओपी राजभर उनके संपर्क में हैं. ओबीसी वर्ग अपनी बेहतरी के लिए कहीं भी जा सकता है. उनकी किसी एक पार्टी के प्रति प्रतिबद्घता नहीं है.
यह भी पढ़ेंः पंजाब में अकाली दल और बसपा के बीच हुआ गठबंधन, सीटों का भी बंटवारा
उन्होंने बताया कि सवर्णों को ज्यादातर देखें तो वह कांग्रेस और भाजपा के साथ ही देखा जा सकता है. मुस्लिम को देखें तो राजनीतिक प्रतिबद्घता है वह भाजपा की तरफ नहीं जाना तो नहीं जाना है. भाजपा ओबीसी वर्ग को सहजेने की कवायद शुरू कर दी है. पूरब से लेकर पश्चिम तक भाजपा ओबीसी वर्ग के चेहरों को अपनी ओर लाने का प्रयास करेंगे. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि 2014 का लोकसभा चुनाव में ओबीसी का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के पाले में आ गया था. जिसका लाभ 2017 और 2019 के चुनाव में भी मिला. इसीको देखते हुए पार्टी विभिन्न जातियों के प्रभावकारी नेताओं को सहेजने में लग गयी हैं.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Rang Panchami 2024: आज या कल कब है रंग पंचमी, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व जानिए
-
Good Friday 2024: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे, जानें ये 5 बड़ी बातें
-
Surya Grahan 2024: सूर्य ग्रहण 2024 किन राशि वालों के लिए होगा लकी
-
Bhavishya Puran Predictions: भविष्य पुराण के अनुसार साल 2024 की बड़ी भविष्यवाणियां