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BJP मंत्री आनंद की अबुल कलाम आजाद पर बेहूदी टिप्पणी, विपक्ष हमलावर

'मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है. दुर्भाग्य से देश के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद के हृदय में भारत और भारतीयता के प्रति कोई स्थान नहीं था.'

Updated on: 24 Dec 2020, 01:33 PM

बलिया :

विवादित बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य राज्य मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने ऐसी ही एक और टिप्पणी करते हुए देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद पर गंभीर आरोप लगाए हैं. विपक्ष ने मंत्री के विवादास्पद बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया कि सिर्फ नफरत की राजनीति करने वाले शुक्ला को इतिहास का अच्छी तरह से अध्ययन करने की सख्त जरूरत है. 

शुक्ला ने जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में आरोप लगाया, 'मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है. दुर्भाग्य से देश के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद के हृदय में भारत और भारतीयता के प्रति कोई स्थान नहीं था.' उन्होंने आरोप लगाया, 'जहां के लोग पाकिस्तान नहीं बनाना चाहते थे वहां पाकिस्तान बना और जहां के लोगों ने पाकिस्तान के गठन के लिए ज्यादा वोट किया था वे देश में ही रह गए. शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद के बाद भी एमसी छागला, नूरुल हसन और हुमायूं कबीर जैसे लोगों ने भारत की शिक्षा पद्धति को नुकसान पहुंचाया.'

संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने आरोप लगाया, 'कश्मीरी पंडितों ने जब गुरु तेग बहादुर जी से आग्रह किया कि आइए हमारी रक्षा कीजिये, औरंगजेब की सेना हम पर इस्लाम कुबूल करने का दबाव बना रही है. गुरु तेग बहादुर गए तो औरंगजेब की सेना ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उनके सिर को कलम कर दिया. उन चीजों को इतिहास से हटा दिया गया. केवल जो चीजें दिखाई गई उनमें अकबर महान शामिल है, जबकि आईने अकबरी में और अकबर के समकालीन इस्लामी इतिहासकारों ने भी उसे कभी महान नहीं कहा.'

विपक्षी दलों ने संसदीय कार्य राज्यमंत्री के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए निंदा की है. सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि शुक्ला को इतिहास और आजादी की जंग में योगदान करने वालों के बारे में कुछ पता ही नहीं है. उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य राज्य मंत्री को इतिहास का शुरू से अध्ययन करना चाहिए. मौलाना अबुल कलाम आजाद स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के साथ थे और वह न सिर्फ एक महान शिक्षाविद थे बल्कि उच्च कोटि के राष्ट्रवादी नेता भी थे. आजाद ने देश के बंटवारे के वक्त पाकिस्तान नहीं बल्कि भारत को चुना था, लिहाजा भारत और भारतीयता के प्रति उनके लगाव पर सवाल उठाना 'बचकाना हरकत' है.

कांग्रेस प्रदेश मीडिया संयोजक ललन कुमार ने भी शुक्ला के बयान पर उन्हें आड़े हाथ लिया और कहा, 'शुक्ला उन अबुल कलाम आजाद की निष्ठा पर सवाल उठा रहे हैं जिनकी तारीफ भाजपा के पुरोधा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई भी अक्सर किया करते थे. अब सवाल यह उठता है कि वाजपेई सही थे या शुक्ल.' उन्होंने आरोप लगाया कि मौलाना अबुल कलाम आजाद ने आजादी की उस लड़ाई में महात्मा गांधी का तन-मन-धन से साथ दिया जिसमें भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों का कोई भी योगदान नहीं है. उल्टे संघ से जुड़े लोगों ने अंग्रेजों की चाटुकारिता कर और माफीनामे लिखकर आजादी की लड़ाई को नुकसान पहुंचाया था, अब उसी सोच को आगे बढ़ाने वाले शुक्ला जैसे लोग आजाद जैसे सच्चे राष्ट्रवादी की निष्ठा पर सवाल उठा रहे हैं. यह अति निंदनीय है.