New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2021/04/09/yadav-family-70.jpg)
सक्रिय राजनीति से हटते ही बीजेपी ने शुरू की यादव परिवार में सेंधमारी.( Photo Credit : न्यूज नेशन)
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
सक्रिय राजनीति से हटते ही बीजेपी ने शुरू की यादव परिवार में सेंधमारी.( Photo Credit : न्यूज नेशन)
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के मुकाबले लगातार रोचक होते जा रहे हैं. इन्हीं सबके बीच सैफई कुनबे से मुलायम की भतीजी संध्या यादव को भाजपा ने जिला पंचायत का टिकट देकर उनके गढ़ में बड़ी सेंधमारी के संकेत दिए हैं. कहा जा रहा है कि भाजपा पंचायत चुनाव के माध्यम से सैफई कुनबे में सेंधमारी करके विधानसभा का रास्ता तैयार कर रही है. सपा सरंक्षक मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई अभयराम यादव की बेटी संध्या यादव बदायूं से सांसद रहे धर्मेद्र यादव की बड़ी बहन है. संध्या ने जिला पंचायत घिरोर सीट के तृतीय वार्ड से नामांकन किया है. ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब मुलायम परिवार का कोई सदस्य भाजपा से चुनाव लड़ने जा रहा है.
दराअसल राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो संध्या यादव को 2016 में सपा ने टिकट देकर जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया था, लेकिन चाचा-भतीजे के पारिवारिक झगड़े में वह राजनीति का शिकार हुईं. 2017 के बीच संध्या यादव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. उसके बाद लोकसभा चुनाव के दौरान संध्या यादव के पति अनुजेश प्रताप सिंह यादव भाजपा में शामिल हो गए थे. संध्या यादव के पति अनुजेश ने कहा, 'मैं 2017 से ही भाजपा में शामिल हो गया था. जिस पार्टी में वह पहले थे. उन्हें वह सम्मान नहीं मिला जिसके वह हकदार थे. इसी कारण वह भाजपा में शामिल हो गए. जब हमारे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, तो भाजपा ने ही हमारी मदद की और सम्मान बढ़ाया. हम लोग भाजपा के साथ हैं.'
स्थानीय पत्रकार दिनेश शाक्य ने बताया कि यह सैफई कुनबे में यह रार बहुत पहले से शुरू हो गई थी. विधानसभा चुनाव के बाद संध्या यादव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, लेकिन भाजपा के समर्थन के कारण उनकी कुर्सी बच गयी. इसके बाद अनुजेश यादव 2019 में भाजपा का दामन थाम लिया. भाजपा ने संध्या को टिकट देकर मुलायम परिवार में सेंधमारी के संकेत दिए हैं. उन्होंने बताया, 'संध्या यादव के पति अनुजेश यादव का परिवार राजनीति पहले से सक्रिय रहा है. अनुजेश यादव की मां उर्मिला यादव और उनके चाचा जगमोहन यादव भी तत्कालीन घिरोर विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. करहल क्षेत्र में उनका ठीक-ठाक प्रभाव है. ऐसे में विधानसभा के चुनाव में भी सपा को टक्कर मिलेगी.'
मैनपुरी सपा का महत्वपूर्ण गढ़ रहा है. यहां से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव पांच बार सांसद रहे हैं. यहां से सपा के तीन विधायक भी हैं. जिला पंचायत चुनाव में भी सपा का यहां पर बहुत दिनों तक कब्जा रहा है. मैनपुरी से सपा के जिलाध्यक्ष देवेन्द्र यादव कहते हैं, 'संध्या दो साल पहले ही भाजपा में जा चुकी थी. उनके जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. समाजवादी बड़ी मजबूती के साथ इस सीट पर चुनाव लड़ रही है.'
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्वत कहते हैं, 'जब से मुलायम सिंह एक्टिव राजनीति से हटे तब से उनके परिवार का कुनबा एक नहीं दिखता है. चाहे शिवपाल हो या फिर अपर्णा, सभी बिखरे नजर आते हैं. मुलायम सिंह को जमीनी राजनीति का अनुभव था. सभी चीजों महत्व समझते थे. वह मैं बड़ा तू बड़ा की राजनीति में नहीं पड़ते थे. जो राजनीति रूप से मुफीद होता था, उसे करते थे. उनके एक्टिव राजनीति से हटने से ऐसी बातें सामने आने लगी है. यह भाजपा के लिए बढ़त लेकर महौल बनाने की बात है. वैसे भाजपा इटावा मैनपुरी में कभी मजबूत नहीं रही है. सुब्रत पाठक ने 2019 के चुनाव में मुलायम की बहू को हराकर भाजपा का वर्चस्व बनाया है. इसके बाद इटावा से रामशंकर कठेरिया भी मोदी लहर में जीत गये. मुलायम की पकड़ ढीली होने से सबके लिए जगह बनी है. भाजपा इस समय सबसे मजबूत पार्टी है. इसलिए उसे फायदा मिल रहा है. आने वाले समय भाजपा इसका लाभ लेने का पूरा प्रयास करेगी.'
HIGHLIGHTS