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AMU में विधायक की कार से बीजेपी का झंडा हटाने का मामला अब SC जाएगा

एएमयू ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा आपराधिक कार्यवाही को रोकने के लिए इसकी 12 सदस्यीय प्रॉक्टोरियल टीम की याचिका खारिज करने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया है.

Updated on: 23 Nov 2020, 01:34 PM

अलीगढ़:

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा आपराधिक कार्यवाही को रोकने के लिए इसकी 12 सदस्यीय प्रॉक्टोरियल टीम की याचिका खारिज करने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया है. यह मामला भाजपा विधायक दलवीर सिंह के वाहन को पार्टी के झंडे के साथ कैंपस परिसर में प्रवेश करने से रोकने और कथित तौर पर उनके चालक के साथ गालीगलौच करने से संबंधित है. एएमयू के प्रवक्ता शफी किदवई ने कहा, 'विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार, राजनीतिक दलों का कोई भी वाहन झंडे के साथ कैंपस के अंदर नहीं प्रवेश कर सकता है. उक्त वाहन को रोक कर प्रॉक्टोरियल स्टाफ केवल अपनी ड्यूटी कर रहे थे.'

12-सदस्यीय प्रॉक्टोरियल टीम ने पहले अलीगढ़ में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में उनके खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था. हालांकि पिछले हफ्ते हाईकोर्ट ने प्रोफेसर बृजभूषण सिंह और 11 अन्य सदस्यों द्वारा दायर याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि घटना के स्थान पर अभियुक्तों की उपस्थिति विवादित नहीं है. याचिकाकर्ताओं के वकील ने विश्वविद्यालय के कुछ परिपत्रों का उल्लेख किया जो विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी राजनीतिक दल के झंडे वाले वाहनों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाते हैं.

राज्य सरकार के वकील ने तर्क दिया कि अपराध 'गंभीर' था और कानून और व्यवस्था पर व्यापक प्रभाव हो सकता है. यह घटना पिछले साल 22 अक्टूबर को हुई थी, जब अलीगढ़ के बरौली निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक दलवीर सिंह का ड्राइवर गुड्डू सिंह के पोते विजय को यूनिवर्सिटी से लेने के लिए गया था, लेकिन कथित तौर पर उसे मुख्य गेट पर एएमयू प्रॉक्टोरियल टीम द्वारा रोका गया था. इस घटना की प्राथमिकी विधायक के ड्राइवर गुड्डू द्वारा सिविल लाइंस थाने में दर्ज शिकायत के आधार पर उसी दिन दर्ज की गई थी.

प्राथमिकी के अनुसार, स्टाफ सदस्यों ने उन्हें कार से बाहर निकाला और उसे परिसर में प्रवेश करने की अनुमति देने से पहले वाहन से पार्टी का झंडा हटाने के लिए मजबूर किया.  शिकायतकर्ताने यह भी कहा कि जब उन्होंने उनके इस कदम का विरोध किया, तो प्रॉक्टोरियल टीम के सदस्यों ने कथित तौर पर यह कहते हुए उनके साथ दुर्व्यवहार किया कि  'भाजपा सदस्यों को परिसर में अनुमति नहीं है'.