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उन्नाव रेप कांड मामला: इधर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, उधर सेंगर पार्टी से बाहर

बीजेपी ने आखिरकार रेप के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. माना जा रहा है कि विपक्ष के लगातार दबाव बनाए जाने के बाद बीजेपी को यह कड़ा कदम उठाना पड़ा.

Updated on: 01 Aug 2019, 01:44 PM

लखनऊ:

बीजेपी ने आखिरकार रेप के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. माना जा रहा है कि विपक्ष के लगातार दबाव बनाए जाने के बाद बीजेपी को यह कड़ा कदम उठाना पड़ा. बीजेपी पर लगातार समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी निशाना साध रही थी. सभी बस यही कह रहे थे कि कुलदीप सिंह सेंगर को सत्ता का संरक्षण दिया जा रहा है. बीजेपी लगातार अपने विधायक के लिए बचाव की मुद्रा में है.

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लेकिन अब पार्टी ने कुलदीप सेंगर को बीजेपी से निष्कासित कर दिया है. उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा था कि कुलदीप सेंगर फिलहाल पहले ही पार्टी से सस्पेंड हैं. जब तक उन पर यह जांच चलती रहेगी तब तक वह सस्पेंड ही रहेंगे.

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया था कि ''स्थानीय बीजेपी सांसद साक्षी महाराज द्वारा जेल में रेप आरोपी बीजेपी विधायक से मिलना यह प्रमाणित करता है कि गैंग रेप आरोपियों को लगातार सत्ताधारी बीजेपी का संरक्षण मिल रहा है, जो इंसाफ का गला घोटने जैसा है. मा. सुप्रीम कोर्ट को इसका संज्ञान अवश्य लेना चाहिए.''

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सोशल मीडिया पर भी बीजेपी पर लोग लगातार हमलावर हो रहे थे. लोग पूछ रहे थे कि जब प्रणव सिंह चैंपियन ने हथियार लहराए तो बीजेपी ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया. लेकिन रेप जैसे गंभीर मामले में आरोपी होने के बाद भी आखिर बीजेपी सेंगर पर कार्रवाई करने से क्यों कतरा रही है.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बीच BJP का कदम

उन्नाव रेप कांड की पीड़िता के एक्सीडेंट मामले का सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है. इसकी सुनवाई 1 अगस्त को की गई. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के अधिकारियों को तलब किया और पूछा कि आखिर जांच कहां तक पहुंची है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 12 बजे तक स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा था.

जिसे लेकर सरकार की तरफ से वकील ने यह कहते हुए समय मांगा था कि जांच से जुड़े अधिकारी लखनऊ में हैं. उन्हें आने में समय लगेगा. जिस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि सीबीआई के डायरेक्टर अधिकारियों से जानकारी लेकर स्टेटस रिपोर्ट दें. अगर वह चाहें तो चेंबर में भी इस मामले की सुनवाई की जा सकती है.