logo-image

'..तो नीतीश बन सकते हैं प्रधानमंत्री' अखिलेश यादव का Bihar Crises पर बड़ा बयान

अखिलेश यादव का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब बिहार के मुख्यमंत्री अपने पूर्व सहयोगी NDA के साथ संबंधों को पुनर्जीवित कर सकते हैं, क्योंकि I.N.D.I.A ब्लॉक गठबंधन के साथ उनके समीकरण खराब हो गए हैं. 

Updated on: 26 Jan 2024, 06:42 PM

नई दिल्ली :

नीतीश कुमार एनडीए में वापसी कर सकते हैं... इन अटकलों पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि, अगर बिहार के मुख्यमंत्री विपक्ष के I.N.D.I.A गुट के साथ बने रहते हैं तो वह प्रधानमंत्री बन सकते हैं. अखिलेश यादव ने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए कहा कि, गठबंधन में किसी के नाम पर भी प्रधानमंत्री पद के लिए विचार किया जा सकता है. उन्होंने सुझाव दिया कि, नीतीश कुमार को सही समर्थन के साथ दावेदार के रूप में देखा जा सकता है...

गौरतलब है कि, अखिलेश यादव का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब बिहार के मुख्यमंत्री अपने पूर्व सहयोगी NDA के साथ संबंधों को पुनर्जीवित कर सकते हैं, क्योंकि I.N.D.I.A ब्लॉक गठबंधन के साथ उनके समीकरण खराब हो गए हैं. 

इसलिए नीतीश ने ठुकराया संयोजक का पद

मालूम हो कि नीतीश कुमार ने हाल ही में इंडिया ब्लॉक के संयोजक का पद ठुकरा दिया था. इसके बाद, जेडीयू नेता संजय कुमार झा ने बताया था कि, सीएम नीतीश कुमार I.N.D.I.A गठबंधन का संयोजक कांग्रेस से ही चाहते थे, जिस वजह से ये उन्होंने ये पद ठुकया था. 

बता दें कि, नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A का हिस्सा है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बने इस गठबंधन में 26-28 राजनीतिक दल एकजुट हुए हैं. हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि, फिलहाल नीतीश कुमार के भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ किसी भी तरह के समझौते की पुष्टी नहीं है. 

वह प्रधान मंत्री पद के दावेदार नहीं: अखिलेश 

इस मामले में अखिलेश यादव का कहना है कि, वह चाहते हैं कि जद(यू) प्रमुख I.N.D.I.A गुट का ही हिस्सा रहें. उन्होंने कहा कि, नीतीश कुमार ने ही इसकी पहल की और I.N.D.I.A गठबंधन को तैयार किया है. 

इसके साथ ही उन्होंने तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसी पार्टियां जो गठबंधन का हिस्सा हैं, उन्हें लेकर कांग्रेस पर निशाना साथा. उन्होंने कहा कि, "कांग्रेस को आगे आना चाहिए था," साथ ही उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि वह प्रधान मंत्री पद के लिए प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे हैं, बल्कि क्षेत्रीय दलों को प्राथमिकता देने की वकालत कर रहे हैं, जहां उनके पास काफी ताकत है.