भ्रष्टाचार का जड़ किस तरह से पैर पसार कर आम जनता का हित का सर्वनाश कर रहा है. ये वाराणसी के सर सुंदरलाल अस्पताल में देखने को मिल रहा है. पूर्वांचल के एम्स कहे जाने वाले बीएचयू के सर सुन्दर लाल अस्पताल में बड़ा गड़बड़ झाला सामने आया है. कोर्ट के आदेश से बीएचयू अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट सहित बी रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय की डिप्टी रजिस्ट्रार पर मुकदमा दर्ज किया गया है. इसके पीछे का कारण बीएचयू अस्पताल के एक टेंडर में अनियमितता बरतने के आरोप से संबंधित है. बताया जा रहा है इसके जरिये करोड़ों के घोटाले अंजाम दिया जा रहा था.
टेंडर जारी किया गया था
पूर्वांचल के इस सबसे बड़े अस्पताल में सुविधाएं तो बहुत है पर इसके साथ समय-समय पर यहां घोटालों की खबरें आती रहती हैं. इस बार तो बड़े पदों पर आसीन लोगों पर मुकदमा पंजीकृत किया गया है. दरअसल, बीएचयू अस्पताल की ओर से डायग्नोस्टिक इमेजिंग सेवाओं के संचालन, रखरखाव और प्रबंधन के सेवा प्रदाता के चयन के लिए टेंडर जारी किया गया था.
शिकायतकर्ता का आरोप है कि उसका टेंडर निरस्त कर दिया गया था. बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल की ओर से छह अगस्त 2024 को पीपीपी मोड पर डायग्नोस्टिक इमेजिंग सेवाओं के संचालन, रखरखाव और प्रबंधन के सेवा प्रदाता के चयन के लिए टेंडर जारी हुआ था. 19 सितंबर 2024 को उन्होंने भी टेंडर भरा.
तकनीकी मूल्यांकन समिति ने अप्रूव कर दिया
टेंडर के तकनीकी मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष व समन्वयक प्रो.कैलाश कुमार थे. डॉ. एएनडी द्विवेदी और रश्मि रंजन कमेटी की सदस्य थीं. 30 दिसंबर 2024 को उन्हें सूचना दी गई कि तकनीकी मूल्यांकन समिति ने उनका टेंडर निरस्त कर दिया. बाद में ये बात सामने आयी की टेंडर भरने में पल्स डायग्नोस्टिक के मनोज कुमार शाह और सुनैना बिहानी ने फर्जी जीएसटी नंबर का इस्तेमाल किया है. इसके बावजूद पल्स डायग्नोस्टिक के टेंडर को तकनीकी मूल्यांकन समिति ने अप्रूव कर दिया.
पांचों लोगों ने विश्वविद्यालय के पैसे को हड़पने की नीयत से फर्जी कागजात की मदद से टेंडर की कार्रवाई मनमाने ढंग से की. फरवरी 2025 में बीएचयू के उच्चाधिकारियों से शिकायत की गई. लंका थाने में तहरीर दी गई, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई. इसके बाद अदालत की शरण में जाना पड़ा उसके बाद अदालत ने 12 मार्च को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया. मगर मुकदमा दर्ज नहीं किया जा रहा था. आठ दिन बाद अब जाकर मुकदमा पंजीकृत किया गया है. मुकदमा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. कैलाश कुमार, रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एएनडी द्विवेदी, चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय की डिप्टी रजिस्ट्रार रश्मि रंजन और पल्स डायग्नोस्टिक के एमडी मनोज कुमार शाह व निदेशक सुनैना बिहानी के खिलाफ लंका थाने दर्ज किया गया है. अब इसकी तफ्तीश जारी बताया जा रहा है की 60 करोड़ से भी अधिक का ये घोटाला हो सकता है.