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BHU: मरीजों को बेहोश करने के लिए इस्तेमाल की जाती है 'इंडस्‍ट्र‍ियल गैस'- रिपोर्ट में खुलासा

बीएचयू के मेडिकल कॉलेज में मरीजों को बेहोश करने के लिए इंडस्ट्रियल गैस का इस्तेमाल किया जाता था,जिसे मेडिकल में इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है।

Updated on: 05 Oct 2017, 01:56 PM

highlights

  • रिपोर्ट में खुलासा-सर्जरी के दौरान मरीजों को बेहोश करने के लिए इंडस्ट्रियल गैस का इस्तेमाल किया जाता है। इस गैस कि मेडिकल में अनुमति नहीं है।
  • बीएचयू मेडिकल कॉलेज में 6 जून से 8 जून के बीच हुई थी 14 मौतें, इलाहबाद हाईकोर्ट ने दिए थे जांच के आदेश।
  • गैस की आपूर्ति कर रही इलाहाबाद की निजी कंपनी पारेरहाट इंडस्ट्रियल एंटरप्राइजेज के पास मेडिकल गैस बनाने या बेचने का लाइसेंस नहीं है।

नई दिल्ली:

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के मेडिकल कॉलेज में हुई असामान्य मौतों की जांच करने वाली केंद्र और यूपी सरकार की एक संयुक्त जांच दल ने रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में बेहद ही चौकाने वाले तथ्य सामने आये है।

रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि मरीजों को बेहोश करने के लिए इंडस्ट्रियल गैस का इस्तेमाल किया जाता था। जिसका आमतौर पर मरीजों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता। इस गैस को मेडिकल में इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है।

दरअसल, 6 जून से 8 जून के बीच बीएचयू में कम से कम 14 लोगों की मौत हुई जो हॉस्पिटल में सर्जरी के लिए भर्ती हुए थे। मरीजों की मौत के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है, 'पता चला है कि अस्पताल में नॉन-फार्मास्यूटिकल (गैर-चिकित्सकीय) नाइट्रस आक्साइड का प्रयोग किया जा रहा था। ये गैस उन गैसों की श्रेणी में नहीं आती जिनका इस्तेमाल मेडिकल में किया जाता है।'

18 जुलाई को दी गयी इस रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने तैयार किया है। हालांकि जांच में ये नहीं कहा गया है कि सामान्य से ज्याद संख्या में हुई मौतों के लिए नाइट्रस आक्साइड (एन2ओ) जिम्मेदार है या नहीं।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बीएचयू हॉस्पिटल में गैस की आपूर्ति करने वाली इलाहाबाद स्थिति निजी कंपनी 'परेरहट इंडस्ट्रियल एंटरप्राइजेज' के पास मेडिकल गैस बनाने या बेचने का लाइसेंस ही नहीं है।

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कंपनी के डायरेक्टर अशोक कुमार वाजपेयी इलाहाबाद नार्थ से बीजेपी विधायक हर्षवर्धन बाजपेयी के पिता हैं। उनके पास कंपनी के 1.21 करोड़ रुपये के शेयर हैं। कंपनी के मालिक से स्टील, केमिकल, पेपर मिल और सौर ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां भी चलाते हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इलाहाबाद के असिस्टेंट ड्रग इंस्पेक्टर केजी गुप्ता की एक आरटीआई के जवाब में बताया गया कि उत्तर प्रदेेश फूड सेफ्टी विभाग ने कंपनी के नैनी स्थिति कारखाने को कोई लाइसेंस नहीं दिया है, न तो नाइट्रोजन ऑक्साइड बनाने का और न ही ऑक्सीजन बनाने का।

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हर्षवर्धन बाजपेयी ने टीओआई से बातचीत में माना कि उनकी कंपनी के पास गैस बनाने और बेचने का लाइसेंस नहीं लेकिन उन्होंने बीएचयू अस्पताल में हुई मौतों के लिए गैस को वजह बताने के आरोपों को खारिज किया। उनका कहना है कि यही गैस इलाहबाद के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में सप्लाई की जाती है।

रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाईजेशन (सीडीएसओ), गाजियाबाद और बीएचयू की एक फैक्ट-फाइंडिंग कमिटी ने 9 जून को हुई मौतों की जांच के निष्कर्षों का समर्थन किया है।

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