उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान विभाग में नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर के विरोध में छात्रों का धरना जारी है. ज्वानिंग के बाद से डॉ. फिरोज अपने घर राजस्थान लौट गए हैं. डॉ फिरोज खान का कहना है कि उनकी नियुक्ति को लेकर जारी विरोध के कारण वह आहत हैं. उन्होंने कहा कि वह संस्कृत की पूजा करते रहे हैं. लेकिन अब तक विश्वविद्यालय प्रशासन किसी भी तरह के ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा है.
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धरने के कारम मालवीय भवन से एलडी गेस्ट हाउस चौराहे की ओर जाने वाला रास्ता बंद पड़ा है. छात्र डॉ फिरोज की नियुक्ति को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि नियुक्ति नियमानुसार की गई है. आंदोलन कर रहे छात्रों ने कहा कि संस्कृत कोई भी पढ़ सकता है और पढ़ा सकता है. लेकिन हमारा ऐतराज है कि सनातन धर्म की बारीकियों, महत्व और आचरण को कोई गैर सनातनी कैसे पढ़ा सकता है. शिक्षण के दौरान जब साल में कोई पर्व आता है तो हम गौमूत्र का सेवन करते हैं, क्या नियुक्त किए गए गैर सनातनी शिक्षक उसका पालन करेंगे.
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डॉ फिरोज खान जयपुर के बगरू के रहने वाले हैं. उन्होंने कक्षा 5 के बाद से ही संस्कृत की पढ़ाई शुरु कर दी थी. जयपुर के राष्ट्रीय संस्कृत शिक्षा संस्थान से एमए और पीएचडी की उपाधि हासिल की है. उन्होंने कहा कि बचपन से लेकर अब तक उन्हें कभी भी शिक्षा ग्रहण करने के लिए धार्मिक भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा है. सभी ने संस्कृत पढ़ने के लिए प्रोत्साहन ही दिया. लेनि अब जब सवाल नौकरी का है तो इसे धर्म के चश्मे से देखा जाने लगा.
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डा फिरोज का कहना है कि उनके दादा संगीत विशारद गफूर खान सुबह और शाम गौ ग्रास निकालने के बाद ही खाना खाते थे. पिता रमजान खान गौसेवा करने के साथ ही भजन गाते थे. फिरोज ने कहा कि घर में बचपन से ही भगवान कृष्ण की फोटो देखते रहे हैं. उनका पूरा परिवार गौसेवा में व्यस्त रहा है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो