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BHU-काशी विश्वनाथ न्याय ने UPSC से उर्दू के पेपर को हटाने की मांग उठाई( Photo Credit : File Photo)
यूपीएससी में उर्दू का पेपर नहीं रहना चाहिए इसका विरोध अब तक संत कर रहे थे पर अब एशिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में से एक काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर छात्रों के साथ अब इसके विरोध में काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास भी आ गए हैं. एक सुर में सभी का कहना है कि यूपीएससी से उर्दू का पेपर तो हटाया ही जाए, साथ ही संस्कृत को मुख्य भाषा में भी लाया जाए और वैदिक विज्ञान का पेपर भी हो, क्योंकि यही भारत की संस्कृति की पहचान है.
यूपीएससी से उर्दू का पेपर हटना चाहिए बल्कि अब संस्कृत को मुख्य रूप में रखना चाहिए, क्योंकि देव भाषा संस्कृत ही हमारी संस्कृति की पहचान है. इसके लिए अब काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष पंडित नागेंद्र पांडेय समाने आए हैं. उनका कहना है कि जो हमारी संस्कृति है, जो हमारी पहचान है, हमें उसे पढ़कर आगे जाना चाहिए और उर्दू मुगलों की पहचान है उसे यूपीएससी से हटा देना चाहिए, ये बात काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष और काशी विद्वत परिषद के मंत्री खुद कह रहे हैं.
दूसरी तरफ सर्व विद्या की राजधानी के नाम से विख्यात काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर प्रो. शत्रुघ्न त्रिपाठी भी मानते हैं कि यूपीएससी में उर्दू का पेपर नहीं बल्कि वेद विज्ञान का पेपर होना चाहिए, क्योंकि जो हमारी परंपरा है वो ही हमारी पहचान होनी चाहिए और देव भाषा संस्कृत है, जो हमारे पूर्वज ऋषि मुनि सभी इसी भाषा का इस्तेमाल करते आए हैं. अब यूपीएससी की मुख्य भाषा संस्कृत करनी चाहिए.
वहीं, बीएचयू के अधिकतर रिसर्च स्कॉलर पतंजलि, आशीर्वाद दुबे निलेश मिश्रा प्रमोद चतुर्वेदी सहित सभी कहते हैं कि उर्दू के पेपर का कोई मतलब नहीं हैं, बल्कि इसका दुरुपयोग होता है. कई एनआईए की जांच में सामने आई है कि देश विरोधी लोग उर्दू के सहारे यूपीएससी में पेपर देखकर देश से गद्दारी करते हैं और अब उर्दू का क्या काम ये एक जुबान तक ही सीमित रहनी चाहिए. हमलोग यही चाहते हैं और संस्कृत को ऑप्शनल नहीं बल्कि मुख्य रूप से रखना चाहिए.
Source : Sushant Mukherjee