देश में 39 साल पहले एक ऐसा हत्याकांड हुआ था जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. दिल दहला देने वाले इस मामले में 6 जनवरी को फैसला आ सकता है. 39 साल पहले डकैत से सांसद बनीं दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने 14 फरवरी 1981 को कानपुर देहात के बेहमई गांव में 20 लोगों को एक लाइन में खड़ा कर भून दिया था. इस हत्याकांड पर आज फैसला आने वाला है. इस पूरे मामले में डेढ़ महीने से चल रही बहस कानपुर देहात की स्पेशल कोर्ट में पूरी हो गई है.
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कानपुर देहात के बीहड़ क्षेत्र बेहमई में हुए इस हत्याकांड के बाद गांव के लोगों ने मारे गए लोगों की याद में स्मारक बनाया है. एक पत्थर पर उन सभी का नाम लिखा हुआ है. इस मामले को लेकर सरकारी वकील राजू पोरवाल का कहना है कि 2011 में जब ट्रायल शुरु हुआ था तब 5 आरोपी थे. जिनमें से एक आरोपी की जेल में ही मौत हो गई थी.
पुलिस ने अपनी FIR में फूलनदेवी, राम औतार, मुस्तकीम और लल्लू गैंग के करीब 35 डकैतों को आरोपी बनाया था. आरोप पत्र दाखिल होने के काफी समय बाद तक सभी आरोपी अदालत में हाजिर नहीं हो पाए. जिसके कारण ट्रायल शुरु होने में काफी समय लग गया. राजू पोरवाल का कहना है कि अब चार आरोपी बचे हैं जिनके लिे फैसला आना है.
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इस मामले में डकैतों के वकील रघुनंदन सिंह का कहना है कि इस मामले में जो मुख्य आरोपी थी उनकी मौत हो चुकी है. कुछ हाजिर भी नहीं हुए. जो लोग बचे हैं वो दोषी नहीं हैं. लेकिन अदालत का फैसला मान्य होगा.
10 अगस्त 1963 को UP के जालौन के घूरा का पुरवा गांव में फूलन देवी का जन्म एक मल्लाह परिवार में हुआ था. फूलन बचपन से ही काफी दबंग थीं. 10 साल की उम्र में ही उनके घर वालों ने फूलन की शादी 35 साल के बड़े आदमी से करवा दी. शादी के बाद फूलन के साथ उनके पति ने रेप किया. तबीयत बिगड़ने के कारण फूलन को मायके आना पड़ा.
बेहमई कांड के बाद फूलन देवी ने मध्य प्रदेश पुलिस को सरेंडर कर दिया था. बाद में उन्हें समाजवादी पार्टी ने लोकसभा का टिकट दिया. जिसके बाद वह मिर्जापुर से लोकसभा सांसद चुनी गईं. 2001 में शेर सिंह राणा नाम के एक व्यक्ति ने दिल्ली में फूलन देवी के घर के बाहर ही उनकी हत्या कर दी थी.
Source : News Nation Bureau