/newsnation/media/media_files/2025/09/28/bareilly-violence-maulana-tauqeer-2025-09-28-07-31-51.jpg)
Bareilly Violence Photograph: (Social)
UP News: उत्तर प्रदेश के बरेली में हाल ही में भड़के बवाल को लेकर पुलिस की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. इत्तेहाद-ए-मिल्लत कौंसिल (आईएमसी) के पूर्व जिलाध्यक्ष नदीम खां पर हिंसा की साजिश रचने का आरोप है. पुलिस के अनुसार, नदीम ने व्हाट्सएप कॉल के जरिए 55 लोगों से संपर्क किया. इसके बाद करीब 1,600 लोगों को एकजुट कर उन्हें निर्देश दिया कि सीएए-एनआरसी विरोध की तरह नाबालिगों को आगे रखकर प्रदर्शन करना है.
क्या कहती है शुरुआती जांच
आरोप है कि इन्हीं लोगों ने खलील स्कूल तिराहे और श्यामगंज में माहौल बिगाड़ा. घटना के बाद से नदीम फरार है और पुलिस उसकी तलाश में लगातार दबिश दे रही है. पुलिस ने अब तक आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर पूछताछ की है. प्रारंभिक जांच में सामने आया कि आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ज्ञापन देने के बजाय इस्लामिया मैदान में अनिश्चितकालीन धरना देकर शक्ति प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन उनका मंसूबा पूरा नहीं हो सका.
कॉल डिटेल रिकॉर्ड की जांच में जुटी पुलिस
दिलचस्प बात यह है कि बृहस्पतिवार रात नदीम ने पुलिस को भरोसा दिलाया था कि कोई प्रदर्शन नहीं होगा और वह समर्थकों को भी समझाएगा. इसके बावजूद अगले दिन माहौल बिगड़ा. बारादरी थाना प्रभारी धनंजय पांडेय ने मीडिया को बताया कि नदीम खां और अनीस सकलैनी भीड़ को उकसाते हुए इस्लामिया मैदान की ओर ले जा रहे थे और फोन पर किसी से निर्देश प्राप्त कर रहे थे. पुलिस दोनों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड की जांच कर रही है ताकि यह पता चल सके कि हिंसा की रूपरेखा कहां से तैयार हुई.
इधर, इस्लामिया इंटर कॉलेज प्रबंधन ने भी स्पष्ट किया है कि मौलाना या आईएमसी ने मैदान में आयोजन के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी. प्रधानाचार्य तौकीर सिद्दीकी ने कहा कि जब जिला प्रशासन ने अनुमति ही नहीं दी, तो उनकी ओर से मंजूरी का सवाल ही नहीं उठता.
मुकदमों की फाइलें अदालत से गायब
साजिश के साथ-साथ मौलाना तौकीर रजा के पुराने मुकदमों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. पुलिस पड़ताल में सामने आया है कि 1982 से 2000 के बीच दर्ज पांच मुकदमों की फाइलें अदालत से ही गायब हैं. इन मामलों में दंगा, महिला पर हमला और आपराधिक विश्वासघात जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं.
2010 बरेली दंगों से जुड़ा मुकदमा हाईकोर्ट में स्थगित
इसके अलावा 2010 बरेली दंगों से जुड़ा मुकदमा हाईकोर्ट में स्थगित है. वहीं, 2019 और 2023 में दर्ज मामलों की विवेचना और अनुमति प्रक्रिया अब तक अधूरी है. एसएसपी अनुराग आर्य ने मीडिया से कहा कि मौलाना से जुड़े सभी मामलों की अद्यतन रिपोर्ट तलब की जा रही है और अदालत में प्रभावी पैरवी कर आरोप साबित किए जाएंगे.
यह भी पढ़ें: Bareilly Violence: बरेली में जहां हुई हिंसा वहां अब कैसे हैं हालात? देखिए VIDEO