54 साल बाद खुला बांकेबिहारी मंदिर का खजाना, तोशखाने से निकला लकड़ी का संदूक, चांदी का छत्र और पुराने दस्तावेज

UP News: मिट्टी हटाने के दौरान एक काला सांप निकल आया, जिससे कुछ देर के लिए काम रोकना पड़ा. वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर सांप को सुरक्षित रेस्क्यू किया, जिसके बाद कार्य दोबारा शुरू हुआ.

UP News: मिट्टी हटाने के दौरान एक काला सांप निकल आया, जिससे कुछ देर के लिए काम रोकना पड़ा. वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर सांप को सुरक्षित रेस्क्यू किया, जिसके बाद कार्य दोबारा शुरू हुआ.

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Yashodhan.Sharma
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banke bihari mandir Photograph: (Social)

UP News: उत्तर प्रदेश के वृंदावन के प्रसिद्ध ठाकुर श्रीबांकेबिहारी जी महाराज मंदिर का रहस्यमय तोशखाना आखिरकार 54 साल बाद धनतेरस के दिन खोल दिया गया. हाई पावर्ड मंदिर प्रबंधन कमेटी के आदेश पर शनिवार को टीम ने खजाने का दरवाजा खोला, लेकिन इस दौरान गोस्वामियों ने विरोध जताते हुए हंगामा किया. उनका कहना था कि तोशखाने के अंदर हो रही पूरी प्रक्रिया को मंदिर परिसर में स्क्रीन लगाकर लाइव दिखाया जाए.

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1971 से बंद था तोशखाना

जानकारी के मुताबिक, मंदिर का यह तोशखाना वर्ष 1971 से बंद था. जैसे ही दरवाजा खोला गया, अंदर धूल और गैस भरने से टीम को प्रवेश करने में काफी परेशानी हुई. मिट्टी हटाने के दौरान एक काला सांप निकल आया, जिससे कुछ देर के लिए काम रोकना पड़ा. वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर सांप को सुरक्षित रेस्क्यू किया, जिसके बाद कार्य दोबारा शुरू हुआ.

अब तक तोशखाने से एक लकड़ी का संदूक, तीन बड़े कलश, तीन देग, एक परात, चार बड़े गोल पत्थर, एक बड़ी लकड़ी की तख्त और टूटे कुंडे मिले हैं. संदूक के अंदर दो छोटे गहनों के बक्से, 2 फरवरी 1970 की तारीख वाला एक पत्र और एक छोटा चांदी का छत्र बरामद हुआ है.

क्या कहते हैं इतिहासकार

इतिहासकारों के अनुसार, तोशखाना आखिरी बार 1971 में तत्कालीन मंदिर प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष प्यारेलाल गोयल की देखरेख में खोला गया था. तब कुछ कीमती सामान को सूचीबद्ध कर मथुरा के भूतेश्वर स्थित स्टेट बैंक में जमा करा दिया गया था. बताया जाता है कि मौजूदा मंदिर के निर्माण के समय ही यह खजाना पूजन के बाद स्थापित किया गया था. इसमें ठाकुरजी के पन्ना जड़े मयूराकृति हार, स्वर्ण-रजत आभूषण, सिक्के और भरतपुर, करौली व ग्वालियर विभिन्न रियासतों से प्राप्त दान पत्र रखे गए थे.

1926 और 1936 में हुई थीं चोरियां

मंदिर के गर्भगृह के दाहिनी ओर बने एक दरवाजे से करीब दर्जनभर सीढ़ियां उतरने के बाद बाईं तरफ सिंहासन के नीचे यह तोशखाना स्थित है. बताया जाता है कि ब्रिटिश काल में 1926 और 1936 में यहां चोरी की घटनाएं हुई थीं, जिसके बाद गोस्वामी समाज ने तहखाने का मुख्य द्वार बंद कर दिया और केवल छोटा मुहाना खुला रखा.

वर्ष 2002 और 2004 में भी तोशखाना खोलने के प्रयास किए गए, लेकिन कानूनी अड़चनों के कारण वह संभव नहीं हो सका था. अब धनतेरस के शुभ अवसर पर दशकों बाद यह रहस्य खुला तो भक्तों में भारी उत्सुकता देखने को मिली.

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