बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने राजस्थान की प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर दिया है. माना जा रहा है कि हाल ही में बसपा विधायकों के कांग्रेस का दामन थामने के बाद ऐसा हुआ है. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटें मिली थीं. जबकि बीजेपी को 73 सीटें मिली थीं. हालांकि नतीजों के बाद कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी. लेकिन उसे पूर्ण बहुमत नहीं मिला. पूर्ण बहुमत से 1 सीट कम रह गई. कांग्रेस ने बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से अपनी सरकार बनाई. लेकिन कुछ दिन पहले ही सभी 6 विधायक बसपा छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस के पास अब पूर्ण बहुमत है.
'कांग्रेस है धोखेबाज'
राजस्थान में बसपा के 6 विधायकों ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. जिसके बाद कांग्रेस पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगा. बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वह एक गैर भरोसेमंद पार्टी है. मायावती ने ट्वीट किया कि राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने एक बार फिर बीएसपी के विधायकों को तोड़कर गैर-भरोसेमन्द व धोखेबाज़ पार्टी होने का प्रमाण दिया है.
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यह बीएसपी मूवमेन्ट के साथ विश्वासघात है जो दोबारा तब किया गया है जब बीएसपी वहाँ कांग्रेस सरकार को बाहर से बिना शर्त समर्थन दे रही थी. कांग्रेस अपनी कटु विरोधी पार्टी/संगठनों से लड़ने के बजाए हर जगह उन पार्टियों को ही सदा आघात पहुंचाने का काम करती है जो उन्हें सहयोग/समर्थन देते हैं.
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कांग्रेस इस प्रकार एससी, एसटी,ओबीसी विरोधी पार्टी है तथा इन वर्गों के आरक्षण के हक के प्रति कभी गंभीर व ईमानदार नहीं रही है. कांग्रेस हमेशा ही बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर व उनकी मानवतावादी विचारधारा की विरोधी रही. इसी कारण डा अम्बेडकर को देश के पहले कानून मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. कांग्रेस ने उन्हें न तो कभी लोकसभा में चुनकर जाने दिया और न ही भारतरत्न से सम्मानित किया. अति-दुःखद व शर्मनाक.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो