Badaun Dog And Monkey Bite: बदायूं में आवारा कुत्तों और बंदरों का आतंक, लोगों को बना रहे निशाना

Badaun Dog And Monkey Bite: अगर किसी को जानवर ने काट लिया है तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर रेबीज वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी है. साथ ही, घाव को तुरंत साबुन और साफ पानी से धोना भी जरूरी होता है.

Badaun Dog And Monkey Bite: अगर किसी को जानवर ने काट लिया है तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर रेबीज वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी है. साथ ही, घाव को तुरंत साबुन और साफ पानी से धोना भी जरूरी होता है.

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Yashodhan.Sharma
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Budaun: सर्दियों का मौसम आते ही जानवरों के काटने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. डॉग बाइट, मंकी बाइट और अन्य वाइल्ड एनिमल बाइट्स के मामलों में इजाफा देखा जा रहा है. यही कारण है कि इन दिनों रेबीज वैक्सीन की मांग भी बढ़ गई है.

सर्दियों में हर दिन 80 से 100 मरीज 

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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) के अधिकारियों के अनुसार, आम दिनों की तुलना में ठंड के मौसम में ऐसे मामलों में लगभग 20-30 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. हर दिन औसतन 80 से 100 मरीज रेबीज वैक्सीन लगवाने के लिए आ रहे हैं.

2500 मरीजों का आंकड़ा

अगर महीने की बात करें तो यह आंकड़ा लगभग 2500 मरीजों तक पहुंच रहा है. इनमें सबसे ज्यादा मामले डॉग बाइट यानी कुत्ते के काटने के होते हैं. दूसरे नंबर पर मंकी बाइट और फिर वाइल्ड एनिमल जैसे सियार, बिल्ली, चूहे और कभी-कभी घोड़े के काटने के मामले आते हैं. हालांकि इनकी संख्या बहुत कम होती है.

कैसे होता है वैक्सीनेशन

रेबीज से बचाव के लिए वैक्सीन की चार डोज दी जाती हैं. यह वैक्सीनेशन इंट्राडर्मल तरीके से होता है, जिसमें चार दिन तय होते हैं यानी कि जीरो डे (जिस दिन काटा गया), तीसरे दिन, सातवें दिन और 28वें दिन.

रेबीज को हल्के में न लें

CHC के अनुसार, रेबीज वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और सभी मरीजों को समय पर वैक्सीन दी जा रही है. चिकित्सा अधिकारियों का कहना है कि लोगों को रेबीज को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह एक जानलेवा बीमारी है.

सर्दियों में बरतें अधिक सतर्कता 

अगर किसी को जानवर ने काट लिया है तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर रेबीज वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी है. साथ ही, घाव को तुरंत साबुन और साफ पानी से धोना भी जरूरी होता है. विशेषज्ञों की सलाह है कि सर्दियों में अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए, क्योंकि इस मौसम में आवारा जानवरों का मूवमेंट और आक्रामकता दोनों ही बढ़ जाते हैं.

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