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स्वामी प्रसाद मौर्य अवसरवादी थे और बस अवसर खोजने आए थे: बेबी रानी मौर्य

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बेबी रानी मौर्य (  Baby Rani Maurya ) ने भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) छोड़कर समाजवादी पार्टी ( SP ) में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ( Swami Prasad Maurya )  पर निशाना साधा है.

Updated on: 27 Mar 2022, 03:50 PM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बेबी रानी मौर्य (  Baby Rani Maurya ) ने भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) छोड़कर समाजवादी पार्टी ( SP ) में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ( Swami Prasad Maurya )  पर निशाना साधा है. बेबी रानी मौर्य ने स्वामी प्रसाद को मौकापरस्त बताया. उन्होंने कहा कि मैं खुद जाटव समाज से आती हूं। भाजपा ने एक दलित को आगे रखकर मेयर, राज्यपाल, कैबिनेट मंत्री और भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है. स्वामी प्रसाद मौर्य ( Swami Prasad Maurya ) अवसरवादी थे और बस अवसर खोजने आए थे। आप खुद देखिए कि उनकी क्या हालत है. 

आपको बता दें कि भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबी रानी मौर्य को योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया गया है. बेबी रानी मौर्य को भाजपा आलाकमान बसपा सुप्रीमो मायावती की काट के तौर पर देख रहा है और इसलिए उन्हें उत्तराखंड के राजभवन से वापस बुला कर उत्तर प्रदेश की राजनीति में दोबारा से सक्रिय और बड़ी भूमिका दी गई है. उत्तर प्रदेश राज्य बाल आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग में रह चुकी बेबी रानी मौर्य का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है. अटल-आडवाणी के दौर में बेबी रानी मौर्य ताज नगरी आगरा की मेयर चुनी गई थी. 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्हें एत्मादपुर विधानसभा क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान, अगस्त 2018 में उन्हें उत्तराखंड का राज्यपाल बना कर देहरादून के राजभवन भेज दिया गया। भारतीय राजनीति की परंपरा के अनुसार , राज्यपाल के पद को आमतौर पर सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने का प्रतीक माना जाता है.

लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में मायावती की घटती ताकत और जाटव मतदाताओं के महत्व ने एक बार फिर से भाजपा आलाकमान को बेबी रानी मौर्य के बारे में सोचने को मजबूर कर दिया. पार्टी के निर्देश पर राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सितंबर 2021 में उन्होंने राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया.