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विवादित ढांचे का मलबा लेना चाहती है बाबरी एक्शन कमेटी, जानें क्यों

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान कर दिया है. वहीं यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन भी आवंटित कर दी है.

Updated on: 06 Feb 2020, 04:27 PM

अयोध्या:

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान कर दिया है. वहीं यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन भी आवंटित कर दी है. इसी बीच बाबरी एक्शन कमेटी (Babri Masjid Action Committee) जल्द ही विवादित ढांचे के अवशेष की मांग को लेकर कोर्ट में अपील करने की तैयारी की है. बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर बाबरी मस्जिद के मलबे को मुस्लिमों को सौंपने की गुजारिश करेगी.

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बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजन जफरयाब जिलानी ने कहा कि कमेटी इस बारे में निर्णय ले चुकी है. अब बस ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की भी राय की जरूरत है. जफरयाब जिलानी ने कहा कि इस संबंध में बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी से संपर्क करने की कोशिश की गई है. लेकिन उनकी तबियत अभी ठीक नहीं है, लिहाजा अभी तक बोर्ड की राय नहीं मिल पाई है. लेकिन फिर भी हमारी कोशिश है कि मंदिर निर्माण से पहले ही वहां से मलबा हटवा लिया जाए. उन्होंने कहा कि हमारी वकील राजीव धवन से बातचीत हुई है. बोर्ड की सहमति का बस इंतजार है.

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जिलानी ने कहा कि शरियत के मुताबिक मस्जिद की सामग्री का किसी भी दूसरी मस्जिद या भवन में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. न ही इसका अनादर किया जा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोर्ट ने इस संबंध में कोई फैसला नहीं किया है. इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र देंगे.

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जिलानी ने कहा कि न्यायालय ने साल 1992 में बाबरी ढांचे के विध्वंस को सिरे से असंवैधानिक माना है. इसलिए इसके मलबे और दूसरी निर्माण सामग्री जैसे पत्थर, खंभे आदि को मुस्लिमों को सौंप देना चाहिए. इसके लिए प्रार्थना पत्र देकर कोर्ट से अनुरोध किया जाएगा.मलबे के संबंध में कोई स्पष्ट आदेश नहीं है.