अयोध्या राम मंदिर निर्माण का काम 65 फीसदी पूरा, ग्राउंड फ्लोर के 106 खंभे भी तैयार
अयोध्या के प्रस्तावित राम मंदिर का डिजाइन करीब 30 साल पहले गुजरात के मशहूर वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा ने किया
नई दिल्ली:
राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आखिरी दौर की सुनवाई चल रही है. कोर्ट के फैसले से पहले श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में राम-धुन में बज रही है. तो वहीं अयोध्या की राम मंदिर कार्यशाला में मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने से लेकर उनकी नक्काशी का काम तेज हो गया है. मंदिर निर्माण की तैयारियों से जुड़े लोगों का दावा है कि मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने का 65 फीसदी काम पूरा हो चुका है. VHP प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि फिलहाल 65 प्रतिशत काम पूर्ण हो चुका है, भूतल का काम पूरा हो चुका है. नीचे लगने वाले पत्थर नक्काशी करके रखे जा चुके हैं. ऊपर का काम जारी है.
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अयोध्या के रामसेवकपुरम में बीते करीब 30 सालों से राम मंदिर निर्माण की तैयारियां चल रही हैं. विश्व हिंदू परिषद के मुताबिक प्रस्तावित राम मंदिर के ग्राउंड फ्लोर के निर्माण के लिए पत्थर तैयार हैं. ग्राउंड फ्लोर के 106 खंभे भी तैयार हैं. वहीं अन्नू भाई सोमपुरा ने बताया कि दो मंजिल का मंदिर है. अभी एक मंदिर का काम हमारे पास तैयार है. जब तक इतने पत्थर वहां जाएंगे. नींव खुदेगी, इतना पत्थर वहां लगेगा. तब तक ये पत्थर तैयार हो जाएंगे. अयोध्या के प्रस्तावित राम मंदिर का डिजाइन करीब 30 साल पहले गुजरात के मशहूर वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा ने किया. बीते 30 साल से चंद्रकांत सोमपुरा और उनके बेटे निखिल सोमपुरा मंदिर निर्माण के चल रहे कार्य को देख रहे हैं. निखिल सोमपुरा के मुताबिक दूसरी मंजिल के लिए भी पत्थरों की तराशी और नक्काशी का काम करीब-करीब तैयार है.
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निखिल सोमपुरा ने बताया कि ये जो आप देख रहे हैं रेड मार्क वाला 2004 में बन चुका. अभी तक जो धीरे-धीरे काम चल रहा है. वो दो मंजिल तक अलमोस्ट पूरा हो चुका है. फिलहाल राम मंदिर निर्माण के लिए करीब एक लाख घनफुट पत्थरों को रामनगरी अयोध्या में तराशा जा चुका है. 75 हजार घनफुट पत्थरों की और जरुरत है. जो राजस्थान के भरतपुर के बंसी पहाड़पुर से आएंगे. बस इंतजार है तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का. जिसके बाद देश-विदेश में फैले भक्तों का सदियों पुराना सपना साकार होगा. सपना अपने परम आराध्य श्रीराम की जन्मस्थली पर उनके दिव्य दर्शन का पुण्य हासिल करने का.
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