logo-image

Masjid-e-Ayodhya का अगले साल 26 जनवरी से शुरू होगा निर्माण, अंत तक हो जाएगा पूरा

संयोग से राम मंदिर के निर्माण की देखरेख कर रहे श्रीराम क्षेत्र तीर्थ ट्रस्ट ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि अगले साल जनवरी में मंदिर के गर्भगृह में राम लला की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी और उसके बाद भक्तों के लिए मंदिर खोले जाएंगे.

Updated on: 13 Nov 2022, 10:23 PM

highlights

  • अगले साल की शुरुआत में ही राम मंदिर में रखी जाएंगी राम लला की मूर्तियां
  • 2023 के दिसंबर तक मस्जिद-ए-अयोध्या का निर्माण पूरा होने की उम्मीद

लखनऊ:

अयोध्या के पास धन्नीपुर गांव में बनने वाली प्रस्तावित मस्जिद 'मस्जिद-ए-अयोध्या' का निर्माण अगले साल 26 जनवरी से शुरू होने की संभावना है. इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के एक पदाधिकारी के अनुसार, जो मस्जिद के निर्माण की देखरेख करेगा, नक्शे की मंजूरी और भूमि उपयोग को बदलने सहित सभी आवश्यक औपचारिकताएं अगले कुछ दिनों में पूरी की जाएंगी. अयोध्या में ट्रस्ट के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'अयोध्या विकास प्राधिकरण भूमि उपयोग को बदलने के लिए प्रस्ताव भेजेगा, मानचित्र को भी शीघ्र ही मंजूरी दी जाएगी और आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने इस साल मई में पहले ही जिला अधिकारियों को नक्शा जमा कर दिया था, लेकिन एनओसी बाकी था, जिसके परिणामस्वरूप निर्माण कार्य शुरू करने में देरी हुई. उन्होंने यह भी कहा कि दमकल विभाग ने भी आपत्ति जताई थी क्योंकि प्रस्तावित मस्जिद की ओर जाने वाली सड़क पर्याप्त चौड़ी नहीं थी. पदाधिकारी ने कहा, 'हालांकि इस शर्त पर एनओसी जारी किया गया कि सड़क की चौड़ाई बढ़ाई जाएगी.' ट्रस्ट के मुताबिक अगले  साल के अंत तक मस्जिद का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा.
 
संयोग से राम मंदिर के निर्माण की देखरेख कर रहे श्रीराम क्षेत्र तीर्थ ट्रस्ट ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि अगले साल जनवरी में मंदिर के गर्भगृह में राम लला की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी और उसके बाद भक्तों के लिए मंदिर खोले जाएंगे. ट्रस्ट ने पहले यह स्पष्ट कर दिया था कि प्रस्तावित मस्जिद में बाबर के नाम का कोई उल्लेख नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या से करीब 30 किलोमीटर दूर रौनाहिन में मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित की गई है. बोर्ड ने मस्जिद के निर्माण की देखरेख के लिए एक इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट की स्थापना की.